अनशन पर बैठे कोषाध्यक्ष राजेश खर्ब ने कहा कि सरकार इन स्कूलों का समायोजन करके शिक्षा विभाग में निजीकरण करने का रास्ता बना रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार अपने इस कदम करने में सफल हो गई तो हजारों टीचर सरप्लस हो जाएंगे। इसके अलावा लाखों की संख्या में रोजगार का इंतजार कर रहे युवाओं का शिक्षक लगने का सपना टूट जाएगा। अगर सरकारी स्कूलों का निजीकरण हो गया तो गरीब लोगों के बच्चे भी शिक्षा से वंचित रह जाएंगे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ग्राम पंचायतों को भी गुमराह कर रही है, लेकिन भविष्य में इनके परिणाम गंभीर होंगे। जिला प्रेस सचिव प्रवीन यादव तथा सुनील आर्य ने कहा कि एक तरफ सरकार बेहतर शिक्षा और शिक्षा के अधिकार की बात कर रही है, दूसरी ओर स्कूलों को मर्ज कर इसे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों से दूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक निजी सहभागिता की नीति अधिकारियों द्वारा कमीशन के चक्कर में लागू की जा रही है।
अध्यापक नेताओं ने सरकार को चेताते हुए कहा कि यदि समय रहते स्कूलों के समायोजन को नहीं रोका गया तो, प्रदेश भर के शिक्षक आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। हरियाणा राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आमरण अनशन का प्रदेश भाजपा के शिक्षा प्रकोष्ठ के सह संयोजक जितेन्द्र चहल ने भी समर्थन किया। db
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