कभीधरना तो कभी हड़ताल। फिर पुलिस को सांकेतिक गिरफ्तारी से लेकर आमरण अनशन तक। हर दिन एक नया संघर्ष, लेकिन अब यह सब खत्म हो गया है।
राजकीय स्कूलों में लगे कंप्यूटर लैब सहायक अपने काम पर लौट आए हैं। क्योंकि प्रदेश सरकार ने उनकी वेतन देने की मांग को मंजूरी प्रदान करने की घोषणा के साथ उसे अमल में भी ला दिया है। लैब सहायकों का 26 महीनों का वेतन अटका पड़ा था। शुरुआती दौर में छह महीने का वेतन उनके खातों में डाला गया है। अब उन्हें प्रति कार्य दिवस पर 120 रुपए के स्थान पर मासिक में नौ हजार रुपए दिए जाएंगे। इन हालात से कंप्यूटर लैब सहायक बेहद खुश हैं।
2010 में नियुक्ति 2012 में वेतन रोका
वर्ष 2010 में प्रदेश में कंप्यूटरों की देखरेख एवं अन्य तकनीकी व्यवस्था के लिए प्रदेश भर में करीब 2622 लैब सहायकों की नियुक्ति की गई। 2011 तक सब ठीक चला। अप्रैल 2012 से लैब सहायकों को वेतन नहीं मिला। पहले एक महीना फिर तीन और उसके बाद बढ़ते-बढ़ते 26 महीने तक हो गए।
चारसाल की नौकरी में खुशी एवं गम खूब देखा :
चारसालों में खुशी एवं नौकरी पाकर खुशी मनाने वाले लैब सहायकों ने इन गम खूब देख लिया। शुरुआत में खुश रहने के बाद वेतन अटकने पर पहले निराश हुए। फिर कभी कैथल में अनशन तो कभी कुरुक्षेत्र में हड़ताल। रोहतक में गिरफ्तारी तक दी। यही नहीं इसके बाद 25 जून से आठ जुलाई तक आमरण अनशन तक करना पड़ा।
"वेतन देने की मांग को पूरा दिया है। छह महीने की वेतन चुका है।जिसके बाद लैब सहायक अब काम पर लौट आए हैं।''--सुरेन्द्रब्योंत, प्रधान,हरियाणा लैब सहायक संघ। dbsnpt
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