** एडेड स्कूलों का स्टाफ समायोजित करने की घोषणा पर अमल होने तक जारी रहेगा विरोध: महेंद्र
भिवानी : जिले भर के एडेड स्कूलों (सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय) में शिक्षक हाथ पर काली पट्टी लगाकर अंहिसात्मक ढंग से अपनी मांगें पूरी नहीं होने पर विरोध जताते हुए बच्चों को पढ़ा रहे हैं। जिले में सात एडेड विद्यालय हैं, जिनमें टीचिंग नॉन टीचिंग के 81 सदस्य कार्यरत हैं। जबकि प्रदेश भर में 204 एडेड स्कूलों के करीब 2700 कर्मचारी इसी तरह का विरोध जताने को मजबूर हो रहे हैं। एक जनवरी 2014 से सरकार की घोषणा के अनुसार एडेड स्कूलों में तैनात टीचिंग नॉन टीचिंग स्टाफ को सरकारी शिक्षण संस्थानों में समायोजित किए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं किया गया है। यही वजह है कि शिक्षक बच्चों की पढ़ाई जारी रखते हुए अपने विरोध का यह तरीका अपना रहे हैं। हरियाणा प्रांत एडेड अध्यापक संघ के जिला प्रधान महेंद्र कुमार, उपप्रधान सतीश चौहान सचिव रामनिवास ने बताया कि राज्य सरकार एडेड स्कूलों में तैनात स्टाफ को 75 प्रतिशत की ग्रांट दे रही है, जबकि 25 फीसदी ग्रांट संस्थान प्रबंधन की ओर से दी जा रही है।
प्रदेश में एडेड स्कूलों की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक है, यही वजह है कि मैनेजमेंट भी अब वेतन से हाथ खींच रही है। उनकी मांग है कि कालेजों की तर्ज पर एडेड स्कूलों में तैनात स्टाफ को भी 95 प्रतिशत की ग्रांट दी जाए। कालेजों में केवल पांच प्रतिशत ग्रांट ही प्रबंधन दे रही है। उनका कहना है कि सरकारी संस्थानों में समायोजन के लिए भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है। जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक वे बच्चों की पढ़ाई को बिना बाधा पहुंचाए ही काली पट्टी बांधकर विरोध जारी रखेंगे।
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