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Thursday, 17 July 2014

शिक्षकों में दोष नहीं, पढ़ाई का माहौल ही नहीं

फरीदाबाद : हरियाणा शिक्षा बोर्ड के तहत आने वाले पलवल जिले के 7 स्कूलों के जीरो रिजल्ट  पर दैनिक ट्रिब्यून की  जांच से पता चला कि बच्चों का रुझान पढऩे की बजाय नकल की ओर अधिक है जिस कारण बच्चे फेल हो रहे हैं।
पलवल जिले के हथीन हलके के गांव आली मेव स्थित गवर्नमेंट सीनियर सेकंडरी स्कूल में वहां बच्चों से ज्यादा संख्या अध्यापकों की मिली। अध्यापकों से  पता चला कि स्कूल के बच्चों के मन में एक बात बैठा दी गई है कि परीक्षा में नकल कर लेंगे। इसी आधार पर वह पूरा  साल हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहते हैं। इस बार नकल की अफवाह के चलते चार पेपर रद्द हो गए थे। दोबारा परीक्षा केंद्र पलवल में पड़ा जहां किसी प्रकार की नकल नहीं चल सकी। नतीजतन सभी बच्चे फेल हो गए।
स्कूल में बाउंड्रीवॉल नहीं है, जिसके कारण यहां अनुशासन नहीं बन पा रहा है। बच्चे कभी भी स्कूल से निकल जाते हैं। पिछले करीब चार साल से डीडीओ जगदीश चंद्र पर प्रधानाचार्य का भी भार है। उन्होंने बताया कि यहां पर अध्यापकों की पढ़ाई में कोई दोष नहीं है बल्कि पढ़ाई का माहौल ही नहीं है। जब तक अभिभावकों व छात्रों की मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक यहां नतीजे बेहतर नहीं हो सकते हैं। गलत बच्चों के साथ अच्छे बच्चों का भी भविष्य गलत हो रहा है।
उन्होंने बताया कि गत शैक्षिक वर्ष में स्कूल में हिंदी व फिजिकल के शिक्षक नहीं थे, वहीं संस्कृत का पद रिक्त पड़ा है। वह तब आए जब परीक्षा सिर पर थीं। इसका भी परीक्षा परिणामों पर फर्क पड़ा होगा। उन्होंने बताया कि सुबह नौ बजे से 12 बजे तक अंग्रेजी पढ़ाने के लिए शिक्षक अभी भी नहीं है, लेकिन जो शिक्षक हैं भी उनकी कक्षा में भी बच्चे नहीं आ रहे हैं और रमजान के बहाने स्कूल से चले जाते हैं।
आरटीई की भी ‘मार’
जगदीश चंद्र का कहना है कि आरटीई के तहत आठवीं कक्षा तक बच्चों को पास करने की मजबूरी भी घटिया परिणामों के लिए जिम्मेदार है। पहले पांचवीं व आठवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षाएं होती थीं जिसमें से छंटकर अच्छे बच्चे आगे लाए जाते थे, लेकिन अब 9वीं कक्षा में ऐसे छात्र मिल जाएंगे जिन्हें एबीसी नहीं आती है। उन्होंने कहा कि उनके अध्यापकों का पूरा प्रयास है कि बच्चें पढ़े और परीक्षा में अच्छे नम्बर लाए।                            dt


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