** हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ कौंसलिंग के समय विरोध करता रहा है
अव्यवहारिक रेशनाइलेजन की नीति गलत है और इस गलत नीति की बजह से ही प्रदेश में 4478 अध्यापकों के पद खत्म हुए हैं। पिछले साल प्रदेश में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने अव्यवहारिक रेशनलाइजेशन के खिलाफ जिला राज्य स्तर पर आंदोलन किए लेकिन सरकार शिक्षा विभाग के अधिकारियों के सामने नंबर बनाने के चक्कर में एक संगठन ने अपने आपको अव्यवहारिक रेशनलाइजेशन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
यह बात हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ फतेहाबाद के प्रधान राजपाल मिताथल ने कही। रविवार को जारी बयान में मिताथल ने कहा कि वर्ष 2013 में रेशनलाइजेशन को लेकर हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ कौंसलिंग के समय विरोध करता रहा है परंतु कुछ अधिकारियों के चहेतों ने अधिकारियों से मिलकर रेशनलाइजेशन नीति लागू करवाई। यदि यह विरोधी संगठन अधिकारियों का साथ ने देता तो प्रदेश में 4478 पदों को बचाया जा सकता था। आज ये लोग किस मुंह से रैशनलाइजेशन का विरोध कर रहे हैं। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ उस समय भी अव्यवहारिक रेशनलाइजेशन का विरोध करता था और आज भी करता है। उन्होंने कहा कि अव्यवहारिक रेशनाइलेजन नीति के तहत अंबाला में 157, भिवानी में 300, फरीदाबाद में 283, फतेहाबाद में 248, गुड़गांव में 146, हिसार में 296, झज्जर में 149, जींद में 261, कैथल में 223, करनाल में 190, कुरूक्षेत्र में 155, मेवाल में 183, महेंद्रगढ़ में 186, पंचकूला में 58, पलवल में 3, पानीपत मे 306, रेवाड़ी में 141, रोहतक में 195, सिरसा में 315, सोनीपत में 205, यमुनानगर में 478 पदों को खत्म किया गया है। उपरोक्त आंकड़े आरटीआई के तहत भूप सिंह वर्मा ने निदेशक, मौलिक शिक्षा अधिकारी पंचकूला से प्राप्त किए हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि अव्यवहारिक रेशनलाइजेशन नीति ही बेरोजगारी की जननी है। dbfthbd
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