.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

*** Supreme Court Dismissed SLP of 719 Guest Teachers of Haryana *** यूजीसी नहीं सीबीएसई आयोजित कराएगी नेट *** नौकरी या दाखिला, सत्यापित प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं *** डीडी पावर के लिए हाईकोर्ट पहुंचे मिडिल हेडमास्टर *** बच्चों को फेल न करने की पॉलिसी सही नहीं : शिक्षा मंत्री ***

Thursday, 21 August 2014

8वीं में करें बोर्ड लागू, स्कूलों में हों गुरुजी

** शिक्षा बचाओ समिति ने लिखा सरकार को पत्र, आठवीं कक्षा तक परीक्षा प्रणाली समाप्त करने से हो रही शिक्षा की नींव खोखली 
रेवाड़ी : शिक्षा बचाओ समिति की ओर से शिक्षा के गिरते स्तर विषय पर स्थानीय आनंद समारोह स्थल में गोष्ठी हुई। इसमें जिला के प्रबुद्ध नागरिकों शिक्षाविदों ने विचार रखे। गोष्ठी में विशेषतौर पर आठवीं कक्षा तक परीक्षा प्रणाली समाप्त किए जाने को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। 
समिति अध्यक्ष प्रो. अनिरुद्ध यादव, प्रवक्ता कामरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट, अनिल कुमार, तुलसीराम, रिटायर्ड प्रिंसिपल हजारी लाल, प्रो. जगदीप सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता आनंद सहित अन्य लोगों ने विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि 4 अगस्त 2009 में संसद में नया बिल पास कर आठवीं कक्षा तक परीक्षा प्रणाली को समाप्त कर दिया गया। इससे हुआ ये कि पहली कक्षा में प्रवेश मिलने के बाद यह जांच पड़ताल किए बगैर ही कि बच्चे ने अपने पाठ्यक्रम का न्यूनतम ज्ञान सीखा भी है या नहीं, उसे अगली कक्षा में प्रवेश दे दिया जाता है। यानि 8 वर्ष पढ़ाई के बाद ही बच्चे को आठवीं कक्षा पास करने का प्रमाण पत्र दे दिया जाता है। 
लेकिन इससे देश में शिक्षा की नींव खोखली हो रही है, क्योंकि बच्चा 9वीं कक्षा में पहुंचता है तो उसमें पढ़ने का रुझान, आदत अध्ययन की प्रवृत्ति नहीं पनप पाती। विशेषकर सरकारी स्कूलों के बच्चे आगे की परीक्षाओं में पिछड़ते जाती हैं। भविष्य में हालात ये हो जाते हैं कि बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने में भी सफल नहीं हो पाते।
सरकार से पत्र लिख की शिक्षा स्तर सुधारने की मांग 
गोष्ठी में सवाल उठाए गए कि क्या 8वीं में परीक्षा प्रणाली समाप्त कर नवयुवकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं है, बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा के बिना देश का भविष्य कितना उज्ज्वल है, क्या शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं नि:शुल्क नहीं होनी चाहिए, टीवी पर चल रहे अश्लील कार्यक्रमों पर सरकार एक्शन क्यों नहीं लेती आदि सहित अन्य सवा उठाए गए। समिति की ओर से मानव संसाधन विकास मंत्री, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल तक को पत्र भेजकर शिक्षा विरोधी तथा विनाशक नीतियों तुरंत प्रभाव से वापस लिए जाने की मांग की। 
शिक्षकों के बिना कैसे लें ज्ञान 
वक्ताओं का कहना है कि देश के बहुत से स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक ही नहीं हैं। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में सुविधायुक्त प्रयोगशालाएं भी नहीं हैं। कई स्कूलों में कंप्यूटर और विज्ञान जैसे विषय होते हुए भी उनके पढ़ाने लिए शिक्षक नियुक्त ही नहीं किए गए। कई स्कूल-कॉलेजों में तो मुख्याध्यापक से लेकर प्राचार्य तक के भी पद खाली हैं। एक-एक शिक्षक अपने विषय से अलग दूसरी कक्षाओं को पढ़ाने पर मजबूर है तो वहीं कुछ तो साल पूरा होने पर भी कक्षाएं नहीं लग पाती। वहीं गांव में बड़ा तबका सरकारी स्कूलों में ही पढ़ता है। क्योंकि प्राइवेट स्कूलों में फीस के नाम पर भारी भरकम रकम वसूली जाती है। इसलिए सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को नियुक्त कर शिक्षा की दशा सुधारनी चाहिए। वहीं निजी शिक्षण संस्थानों को सरकारी करण किया जाना चाहिए। गोष्ठी में बिना उचित शिक्षा के बच्चों के गलत दिशा में बढ़ने का भी मुद्दा उठाया गया।                                                  db

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.