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Sunday, 3 August 2014

कम्यूटर शिक्षकों पर पुलिस बल प्रयोग बेहद दुर्भाग्यपूर्ण

अशोभनीय आचरण : पंचकूला में कम्यूटर शिक्षकों पर पुलिस बल प्रयोग बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। अपनी मांगें शासन-प्रशासन तक पहुंचाने के लिए शिक्षा सदन की ओर जा रहे इन शिक्षकों पर लाठियां भांजी गईं और वाटर कैनन का भी प्रयोग कर उन्हें खदेड़ने की कोशिश की गई। अनेक शिक्षकों के घायल होने की सूचना है। ये घटनाएं सरकार की नीतियों और निर्णयों की अपरिपक्वता की पोल खोलने के लिए पर्याप्त उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। क्या कम्यूटर शिक्षक वहां अराजकता फैला रहे थे? क्या उन्होंने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, क्या सार्वजनिक स्थान पर किसी नियम-कानून का उल्लंघन किया? बिना किसी उत्तेजना-आशंका के लाठीचार्ज करने का आदेश क्यों दिया गया? इनके साथ जो कुछ हुआ उससे सरकार की दोहरी मानसिकता सामने आ रही है। एक तरफ तो हर दिन कर्मचारियों के लिए तोहफों का पिटारा खोला जा रहा है, दूसरी तरफ कभी रोहतक तो कभी पंचकूला में कर्मचारियों पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। दोहरी मार के शिकार कंप्यूटर शिक्षकों की व्यथा समझने की कोशिश की जानी चाहिए। पहले तो उन्हें आउटसोर्सिग से काम दिलाने वाली कंपनियों ने सिक्योरिटी के नाम पर हजारों रुपये की चपत लगाई, दूसरे उन्हें सात-आठ माह से वेतन नहीं मिल रहा। उनका वर्तमान अस्थिर और भविष्य असुरक्षित दिखाई दे रहा है। उन्हें अधर में लटकाने वाली कंपनियों को ब्लैकलिस्ट घोषित करने में विलंब क्यों किया जा रहा है? 
मुख्य मांग पर सरकार को तत्काल रुख स्पष्ट करते हुए सहानुभूतिपूर्वक निर्णय करना चाहिए। कंप्यूटर शिक्षक चाहते हैं कि उन्हें सरकारी कर्मचारी के तौर पर स्थायी नियुक्ति दी जाए। यह मांग पूरी करने में यदि कोई अड़चन है तो सरकार को वह भी बताना चाहिए। डराने, धमकाने या टरकाने से तो सरकार की साख पर ही बट्टा लगेगा। कर्मचारियों पर बलप्रयोग के पीछे सरकार, पुलिस व प्रशासन का कोई भी तर्क सही नहीं ठहराया जा सकता। सरकार की कार्यकुशलता तभी साबित होती है जब परिस्थितियां निरंतर सामान्य रहें, कार्य में विघ्न न आए तथा कार्य प्रकृति अनुकूल रहे। कंप्यूटर शिक्षकों को निजी कंपनियों के माध्यम से ठेके पर लेने की परंपरा शुरू करके सरकार ने जो गलती की, अब उसे सुधारने की जरूरत है। जैसे स्थानीय निकायों में ठेका प्रथा समाप्त करने की पहल की गई, उसी तरह यदि तार्किक, प्रशासनिक तौर पर संभव हो तो वैसा ही निर्णय आश्ांकाओं से घिरे कंप्यूटर शिक्षकों के बारे में भी होना चाहिए। पंचकूला में पुलिस व प्रशासन का आचरण अशोभनीय रहा, इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए।                    djedtrl

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