.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

*** Supreme Court Dismissed SLP of 719 Guest Teachers of Haryana *** यूजीसी नहीं सीबीएसई आयोजित कराएगी नेट *** नौकरी या दाखिला, सत्यापित प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं *** डीडी पावर के लिए हाईकोर्ट पहुंचे मिडिल हेडमास्टर *** बच्चों को फेल न करने की पॉलिसी सही नहीं : शिक्षा मंत्री ***

Tuesday, 19 August 2014

बीएड : सीटें खाली तो दाखिला क्यों नहीं

** सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते खाली रह सकती हैं 72 हजार सीटें
** इस सत्र में नहीं मिला दाखिला तो होगा दो साल का नुकसान
नोएडा :  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश के बीएड कॉलेज में सत्र 2014-15 में लगभग 72 हजार सीट खाली रहने की आशंका है, जबकि बीएड-ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) देने वाले हजारों छात्र दाखिले के इंतजार में हैं। आयोजक विश्वविद्यालय की गलती से इन छात्रों की मुश्किल बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दाखिला न मिलने की स्थिति में छात्रों के दो साल खराब हो सकते हैं। संभावना है कि अगले सत्र से बीएड कोर्स दो साल का कर दिया जाएगा।
दरअसल, बीएड-जेईई की मुख्य काउंसलिंग 16 जून से शुरू होकर 2 जुलाई तक कराई गई। दो लाख छात्र परीक्षा में शामिल हुए, जिनमें से काउंसलिंग के जरिये लगभग 66 हजार छात्रों ने दाखिला लिया। प्रदेश के बीएड कॉलेजों में कुल एक लाख 38 हजार सीट हैं, जिसमें से 72 हजार खाली रह गई हैं। आयोजक विवि (बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, झांसी) दूसरी काउंसलिंग कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट गया, जहां से कोई राहत नहीं मिली है। कॉलेज संचालकों का कहना है कि पूल काउंसलिंग के जरिये सीट भरी जा सकती थीं, जैसा कि केस नंबर-एसएलपी 13040/2010 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई 2011 को आदेश दिए हुए हैं।
"सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के अनुपालन में बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी ने पूल काउंसलिंग क्यों नहीं कराई। अति आत्मविश्वास में दूसरी काउंसलिंग की मांग नहीं की जानी चाहिए थी। ये जिम्मेदारी आयोजक यूनिवर्सिटी की है। छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। कॉलेज बंद होने के कगार पर हैं।"--एमसी चौधरी, अध्यक्ष, बीएड कॉलेज एसोसिएशन गौतमबुद्ध नगर                                   au

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.