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Wednesday, 1 October 2014

मुख्यमंत्री के फैंसलों पर भिड़े उच्च शिक्षा विभाग और वित्त विभाग

** कर्मचारियों को 3600 रुपये का ग्रेड पे देने की बात कही थी
कुरुक्षेत्र : मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों के लिपिकों को सचिवालय ग्रेड देने का फैसला खटाई में पड़ता दिख रहा है। कारण यह कि फैसले पर उच्च शिक्षा विभाग और वित्त विभाग आपस में भिड़ गए है।  
उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक की ओर से विश्वविद्यालयों को जारी अधिसूचना में कर्मचारियों को 3600 रुपये का ग्रेड पे देने की बात कही गई थी, लेकिन वित्त विभाग ने इसे गैर कानूनी बताया। उसका कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग को यह फैसला लेने का अधिकार नहीं है। विभाग सचिव की ओर से सभी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर इसे रोकने की बात कही गई है। सरकार ने चुनावों से ठीक पहले कर्मचारियों को खुश करने के लिए प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को सचिवालय कर्मचारियों के बराबर ग्रेड देने का फैसला लिया था। इसके तहत लिपिक पदों पर कार्य कर रहे कर्मचारियों को 3200 की बजाए 3600 ग्रेड पे देनी थी। प्रदेश सरकार ने यह फैसला मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई हाई पॉवर कमेटी की कर्मचारियों के साथ हुई बैठक में लिया था। उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक कार्यालय की ओर से बाकायदा विश्वविद्यालयों को इस बारे में सूचित भी कर दिया गया था। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुवि कार्यकारिणी परिषद में ले जाकर इस पर अपनी मोहर भी लगा दी थी। अब वित्त विभाग ने सभी ऑडिट विभागों को पत्र जारी कर इस फैसले पर फिलहाल रोक लगाने के आदेश दिए हैं। पत्र संख्या- 60/ 54/2 एफडी11/2014/ दिनांक 19-9-2014 को ऑडिट विभाग को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है। 16कर्मचारियों को 3600 रुपये का ग्रेड पे देने की बात कही थी
कुवि एक वर्ष से दे रहा है कर्मियों को प्रोविजनल वेतन 
गौर है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को सचिवालय ग्रेड पहले से ही मिल रहा था। जिसे लगभग एक वर्ष पहले छठे वेतन आयोग की सिफारिशें आने के बाद बंद कर दिया था। इस मामले में कुवि गैर शिक्षक कर्मचारी संघ के दबाव में कुवि प्रशासन एक वर्ष से ही कर्मचारियों को इसी ग्रेड के अनुसार बिना ऑडिट के ही प्रोविजनल वेतन दे रहा है। जिससे कुवि पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।                               dj

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