पहली से आठवीं तक इस वर्ष फाइनल वार्षिक परीक्षा नहीं देने वाले विद्यार्थी भी फेल नहीं होंगे बल्कि पास माने जाएंगे। फाइनल परीक्षा में नहीं बैठने वाले छात्रों को भी अगली कक्षा में प्रवेश मिलेगा। इस बारे में शिक्षा विभाग का भी मानना है कि पहली से 8वीं कक्षा में फेल का कोई प्रोविजन ही नहीं है। ऐसे में सवाल है कि जिन विद्यार्थियों ने परीक्षा दी है उन्हें परीक्षा देने का क्या फायदा या विभाग को परीक्षा लेने की आवश्यकता ही क्या थी?
पिछले चार सालों से शिक्षा विभाग आरटीई के तहत वार्षिक परीक्षा नहीं ले रहा। आरटीई में वार्षिक परीक्षा लेने का कोई प्रावधान ही नहीं है। विद्यार्थियों का मासिक अथवा त्रैमासिक मूल्यांकन किया जाता है। शिक्षा विभाग का मानना है कि जब तक विद्यार्थियों को मौलिक शिक्षा पूरी नहीं हो जाती, उन्हें शिक्षा में रोका नहीं जा सकता। चाहे दिसंबर माह में ही वह दाखिला लें, स्कूल में प्रवेश करें। विभाग उन्हें फेल नहीं कर सकता।
अगले वर्ष उन्हें अगली कक्षा में प्रवेश देना पड़ेगा। इस बार पहले से आठवीं कक्षा तक मंथली परीक्षा के साथ-साथ मार्च में फाइनल परीक्षा भी ली गई। प्रश्न पत्र विभाग द्वारा बनाकर भेजे गए। दूसरे स्कूलों से आकर शिक्षकों ने परीक्षाएं लीं, लेकिन जिस छात्र ने परीक्षा दी ही नहीं उसे भी अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा।
ऐसे में जो छात्र परीक्षा में बैठे उन्हें क्या लाभ मिला या विभाग को फाइनल परीक्षा लेने की क्या जरूरत है। अब तक शिक्षकों के पास इस बारे में स्पष्ट निर्देश नहीं है। जबकि शिक्षा विभाग का कहना है कि आरटीई के तहत किसी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता। उसे अगली कक्षा में प्रवेश दिया ही जाएगा।
डीईईओ ने कहा, कक्षा आठ तक फेल का कोई प्रोविजन नहीं
"एससीआरटी में आरटीई लागू है। जिसमें फेल का कोई प्रोविजन नहीं है। यह एसेसमेंट है। विद्यार्थियों का लर्निंग लेवल अप करने के लिए फाइनल एग्जाम लिए जाते हैं। इसमें किसी विद्यार्थी को फेल नहीं किया जा सकता।"-- यज्ञदत्त वर्मा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, फतेहाबाद। au
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