रेवाड़ी : ग्रीष्मकालीन छुटिट्यों के समापन के बाद ही बुधवार से सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए तीन सूत्रीय फार्मूले पर काम शुरू हो गया है। स्कूलों में दुबारा से सरकुलर जारी किया गया है।
फार्मूला नंबर एक :
एकसाल में 9 टेस्ट होंगे और अतिरिक्त कक्षाएं लगेंगी। इस माह से कक्षा पहली से आठवीं तक मंथली टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। साल में अप्रैल, जून और दिसंबर में टेस्ट नहीं होंगे। अगर कोई छात्र पास नहीं होता है तो शिक्षक उसे पास कराने के लिए अलग से अतिरिक्त कक्षाएं लगाएगा।
फार्मूला नंबर दो :
10 दिन नहीं आने पर नाम कट जाएगा, माता-पिता को बुलाकर दुबारा दाखिला होगा। अगर स्कूल में कोई छात्र लगातार 10 दिन नहीं आता है उसका नाम काट दिया जाएगा। माता-पिता को बुलाकर उसका दुबारा दाखिला होगा।
फार्मूला नंबर तीन:
मंथली टेस्ट नहीं देने वाले को नहीं मिलेगी वजीफा। अगर कोई विद्यार्थी हर माह होने वाले मंथली टेस्ट में नहीं बैठेगा उसे उस माह का मिलने वाला वजीफा नहीं मिलेगा।
शिक्षा विभाग का तर्क
आरटीई एक्ट के सेक्शन 16 में साफ उल्लेखित है कि अगर कोई विद्यार्थी कक्षा पहली में दाखिला लेता है तो वह किसी सूरत में फेल नहीं होगा। हर साल वह पास होता रहेगा बेशक उसने एग्जाम पास किया हो या स्कूल में आया हो या नहीं। आरटीई, हरियाणा के को-ऑर्डिनेटर प्रमोद शर्मा के मुताबिक इस सेक्शन में बदलाव अब संसद में प्रस्ताव लाकर ही किया जा सकता है। हमने केंद्र सरकार को इस एक्ट में बदलाव को लेकर पत्र भेज दिया है।
शिक्षकों की मांग :
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ, हरियाणा के प्रदेश महासचिव दीपक गोस्वामी ने कहा कि आरटीआई में संशोधन जरूरी है। जब हम किसी कमजोर बच्चे को फेल ही नहीं करेंगे, तो वह स्कूल में आने पढ़ने को लेकर भला क्यों गंभीर रहेगा। जिसे पढ़ना है वह मंथली टेस्ट की भी परवाह नहीं करेगा। db
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