चंडीगढ़ : प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ना जरूरी किए जाने के मामले को लेकर जनहित याचिका पर सोमवार को सरकार की तरफ से जवाब दायर करने के लिए समय दिए जाने की मांग की गई। मामले पर अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी। एडवोकेट जगबीर मलिक की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत दयनीय है। ऐसे में इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले की तरह पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट भी फैसला दे कि सरकारी कर्मचारियों, अफसरों और नेताओं के बच्चे इन स्कूलों में पढ़ें। इससे स्कूलों की हालत में सुधार होगा।
याचिका में कहा कि स्कूलों की दशा सुधारने के लिए सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने की बजाय सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए प्रति बच्चा 6 हजार रुपए तक की फीस का भुगतान फीस स्लिप पर करती है। याची ने कहा कि यदि यह पैसा सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने में लगाया जाए तो ऐसे में सरकारी स्कूलों की कायाकल्प हो सकती है। db
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