चंडीगढ़ : हरियाणा में अनुसूचित जाति वर्ग को पदोन्नति के
दौरान 20 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक अभी जारी रहेगी। शुक्रवार को जस्टिस
राजीव भल्ला व रेखा मित्तल पर आधारित खंडपीठ ने बहस के लिए 30 अक्टूबर तक
स्थगित कर दिया, लेकिन पदोन्नति में आरक्षण के आदेश पर रोक जारी रखी। दिनेश कुमार व अन्य की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया था कि हरियाणा
सरकार द्वारा गलत तरीके से प्रमोशन में एससी वर्ग को आरक्षण देने की
व्यवस्था की गई है। सरकार ने 14 फरवरी 2013 को वरिष्ठ आइएएस अधिकारी पी
राघेवंद्र की एक कमेटी गठित की थी। कमेटी को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह
प्रदेश में एससी वर्ग के लोगों के पिछड़ेपन और उनके प्रतिनिधित्व के बारे
में रिपोर्ट तैयार करें क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के अनुसार प्रमोशन
के लिए कमेटी का गठन जरूरी है। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि
प्रदेश में अब भी एससी पिछड़े हुए हैं। इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए
हरियाणा सरकार ने 15 मई 2015 को नोटिफिकेशन जारी कर एससी वर्ग के लोगों के
लिए प्रमोशन में 20 प्रतिशत के आरक्षण का प्रावधान कर दिया। इस प्रावधान के
तहत उन्हें 1 अप्रैल 2013 से इसका लाभ दिया जाना तय किया गया। याचिकाकर्ता
के वकील नरेंद्र हुड्डा ने बताया कि इस कमेटी ने सही डाटा एकत्र नहीं
किया। 20 प्रतिशत आरक्षण प्रमोशन में और पहले ही नियुक्ति में 22 प्रतिशत
से ज्यादा है ऐसे में कुल मिलाकर यही 42 प्रतिशत से ज्यादा हो जाएगा और 27
प्रतिशत ओबीसी। ऐसे में तो जनरल वर्ग के साथ यह अन्याय है। हुड्डा ने बेंच
को बताया कि देश के अधिकतर हाईकोर्ट इस तरह की नीति को रद कर चुके हैं। इस
पर बैंच ने कहा था कि अगर उसके हाथ में हो तो जाति पर आधारित आरक्षण को
खत्म कर आर्थिक तौर पर लागू कर दे। हाईकोर्ट ने सरकार की इस आरक्षण नीति पर
रोक लगाते हुए सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस के निर्देश पर इस मामले की सुनवाई डिविजन
बैंच को रेफर कर दी गई थी। dj
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