** रमसा की बजाए प्लान स्कीम के तहत वेतन की मांग
बल्लभगढ़ : गेस्ट टीचर भर्ती के बाद अब मनोहर सरकार की टेढ़ी नजर पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) पर पड़ती दिख रही है। सरकार ने इन अध्यापकों के वजूद पर सवालिया निशान लगाते हुए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) के तहत वेतन जारी करने के निर्देश दिए हैं। अध्यापकों का कहना है कि जब उनकी भर्ती रेगुलर थी तो उन्हें प्लान बजट की बजाय रमसा के तहत वेतन क्यों दिया जा रहा है। उधर, हरियाणा स्कूल लेक्चरर्स एसोसिएशन (हसला) ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है।
दरअसल, तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में चुनाव से पहले प्रदेश भर में 7752 पीजीटी अध्यापकों की सीधी भर्ती हुई थी। विभागीय सूत्रों की मानें तो हरियाणा सरकार इन टीचरों की नियुक्तियों को सवालों के घेरे में रखे हुए हैं, क्योेंकि ये नियुक्तियां हुड्डा सरकार के कार्यकाल में चुनावों से पहले हुई थी। दूसरा इन नियुक्तियों के दौरान किसी प्रकार की लिखित परीक्षा नहीं ली गई थी। केवल स्क्रूटनी और इंटरव्यू को ही भर्ती का आधार बनाया गया था। इसलिए पिछले तीन माह से शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में जिला शिक्षा अधिकारियों के मार्फत अध्यापकों का वेतन रुकवाया हुआ था। जिले के 150 अध्यापकों को जुलाई से वेतन नहीं मिल पाया। हालांकि, बृहस्पतिवार को शिक्षा विभाग के नए निर्देश ने एक बार फिर अध्यापकों को चर्चा का विषय दे दिया।
सूची के साथ बताई तैनाती
विभाग की तरफ से जारी निर्देशों में साफ है कि इन अध्यापकों को राष्ट्रीय माध्यमिक अभियान के तहत तैनात किया गया है और इनके वेतन का बजट विभाग की प्लान स्कीम में शामिल नहीं है। विभाग ने पीजीटी अध्यापकों के नाम की लिस्ट भी भेजी है। अध्यापकों का कहना है कि रमसा, सर्व शिक्षा अभियान की तरह है, जिसकी समय सीमा तय है। इसलिए यदि पीजी अध्यापक रमसा अभियान के अंतर्गत लाए जाते हैं तो इसकी समय सीमा पूरी होने पर इनका क्या होगा।
"अध्यापकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। उनकी भर्ती नियमित आधार पर हुई थी। अब सरकार अगर रमसा में शामिल कर रही है तो गलत है। सरकार को नियमित आधार पर तीन माह का वेतन जारी करना चाहिए।"-- रामवीर शर्मा, जिला प्रधान, हसला au
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.