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Sunday, 1 May 2016

मंहगाई की मार : 3 रुपये 86 पैसे में कैसे मिले पौष्टिक व संतुलित आहार .


सिरसा : सरकारी स्कूलों के बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे-मील की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। मिड-डे-मील के लिए शिक्षा विभाग ने व्यंजनों की सूची तो लंबी चौड़ी बना दी है। मगर प्रत्येक विद्यार्थी को मिड-डे-मिल की राशि के तौर पर मिल रहे हैं सिर्फ 3 रुपये 86 पैसे। ऐसे में इस महंगाई के दौर में इतने कम बजट में बच्चों को पौष्टिक व संतुलित आहार कैसे मिल रहा होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इसी राशि में ईंधन का खर्चा भी शामिल है। यही कारण है कि अब विद्यार्थियों को आठ ग्राम रिफाइंड में आटे का हलवा और पांच ग्राम घी में पौष्टिक खिचड़ी दे पाना स्कूल मुखियाओं के लिए परेशानी बन गई है।
मेन्यू में शामिल हर चीज महंगी
शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए मिड-डे-मील के मेन्यू के अनुसार अधिकतर व्यंजनों के भाव 30 रुपये से लेकर 100 रुपये तक है। दालों के भाव भी 100 रुपये से अधिक है। विभाग द्वारा भेजी सूची में दस प्रकार के व्यंजन है। स्कूल मुखिया भी इस सूची के अनुसार सप्ताहभर के लिए मेन्यू तैयार कर लेते हैं। मगर विभाग की ओर से भेजी गई सूची के अनुसार आटे का हलवा, काले चेन, पौष्टिक खिचड़ी, मीठा दलिया, दूध और हरी सब्जियां के पुलाव जैसे व्यंजन इस बजट में तैयार करना संभव नहीं है। आटे के हलवे के लिए प्रति छात्र आठ ग्राम रिफाइंड दिया जाता है और पौष्टिक खिचड़ी के लिए मात्र पांच ग्राम। व्यंजनों की इतनी कम मात्रा में बच्चों को हलवा कैसे मिल सकता है।
इस तरह निर्धारित है बजट
मिड-डे-मील योजना के तहत मार्केट से खरीदे जाने वाले राशन के लिए प्राथमिक स्कूल स्तर के विद्यार्थी को 3 रुपये 86 पैसे जबकि मिडल स्तर के विद्यार्थियों के लिए 5 रुपये 64 पैसे प्रति विद्यार्थी राशि दी जाती है। शिक्षा विभाग गेहूं व चावल स्कूलों में उपलब्ध करवाते हैं जबकि ईंधन, सब्जियां, रिफाइंड तेल, सोया चुरा, घी, गुड़-चीनी व मसाले खरीदने होते हैं। इसलिए निर्धारित किए गए बजट में महंगाई के हिसाब से यह सामान खरीदने में स्कूल मुखियाओं को पसीने आ रहे हैं।
50 फीसद बच्चों का स्वास्थ्य ठीक नहीं
स्कूल हेल्थ चेकअप में ये रिपोर्ट सामने आई है कि 50 फीसद बच्चों का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। जबकि मिड डे मील योजना से भी इसमें कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। विद्यार्थियों के अस्वस्थ होने के मामले पहले भी विभाग के संज्ञान में आ चुके हैं। स्कूल हेल्थ की अप्रैल 2015 से जनवरी 2016 की रिपोर्ट अनुसार प्रदेश में 1 लाख 15 हजार विद्यार्थियों का चेकअप हुआ। जिसमें करीब 50 प्रतिशत बच्चे अस्वस्थ मिले हैं। यहीं नहीं हर छठे विद्यार्थी के खून में कमी है। हेल्थ चेकअप के तहत 28 श्रेणियों की बीमारियां की जांच होती है। इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है।
ये है अस्वस्थता के कारण
बच्चों को समय पर पौष्टिक आहार नहीं मिलने से उनमें पौषक तत्वों की कमी हो जाती है। जिसके दो प्रकार है माइक्रो व मैक्रो। माइक्रो में मिनरल व विटामिन होते हैं। मिनरल की श्रेणी में आयरन, ¨जक, कॉपर, सोडियम तत्व व विटामिन में ए, बी, सी, डी और ई शामिल है। वहीं मैक्रो में कार्बोहाइड्रेट, फैट व प्रोटीन सम्माहित होते हैं। स्वस्थ शरीर के लिए इन सभी तत्वों का होना जरूरी है। इनकी अगर शरीर में कमी होगी तो बच्चे अस्वस्थ होंगे।
सैंपल भी चेक नहीं हुए
शिक्षा विभाग ने स्कूलों में निर्देश दिए हुए हैं कि मिड-डे-मिल के कम से कम महीने में एक बार सैंपल चेक करवाने जरूरी है। भारत सरकार द्वारा अनुमोदित प्रयोगशाला में भेजकर सैंपल चेक करवाने होते हैं। मगर दिलचस्प बात यह है कि अभी तक सैंपल चेक करवाने की रिपोर्ट ही नहीं भेजी गई है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यार्थियों को किस क्वालिटी का मिड-डे-मिल परोसा जा रहा है।                                                  dj 

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