** सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना : पर्यावरण विषय पढ़ाने में निभाई जा रही औपचारिकता, किसी भी कॉलेज में विषय के प्राध्यापक नहीं
रेवाड़ी : प्रदेश के कॉलेजों में पर्यावरण विषय को हिंदी, अंग्रेजी, मैथ, संस्कृत, इतिहास, कंप्यूटर, कॉमर्स, गृहविज्ञान, सैन्य- विज्ञान, समाजशास्त्र आदि विषयों के शिक्षक पढ़ा रहे हैं। एक साल तक इस सिलेबस को पढ़ाकर बंद कर दिया जाता है क्योंकि इस विषय के अंक ना तो डिग्री में जुड़ते हैं और ही फेल-पास का असर पड़ता है।
यह सीधे तौर पर यूजीसी और सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों की अवहेलना है। जिस पर अब कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 29 जून तक जवाब मांगा है। उधर, शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने भी माना कि पूर्वी सरकारों के कारण इस विषय का मजाक उड़ा है। अब जल्द ही हम कॉलेजों में क्वालीफाई शिक्षकों की नियुक्ति करेंगे।
1991 में सुप्रीम कोर्ट नेेे किया अनिवार्य, 2004 में लागू
पर्यावरणविद् एमसी मेहता बनाम भारत सरकार के मामले में 1991 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था, कि सभी शिक्षण संस्थानों में हर कक्षा में पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य विषय के तौर पर पढ़ाया जाए। मेहता की याचिका पर ही 13 साल बाद यूजीसी ने शैक्षणिक स्तर 2003-04 से देश भर में सभी स्नातक पाठ्यक्रमों में पर्यावरण शिक्षा को बतौर अनिवार्य विषय लागू किया था। 2003 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्य सचिव एएन माथुर ने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दिया था कि सरकार पर्यावरण शिक्षा बारे दिए कोर्ट के सभी आदेशों का पालन करेगी। इसके बाद प्रदेश में इस अनिवार्य विषय को लागू करके 58 सरकारी 81 एडिड कॉलेजों में नियमित शिक्षकों की भर्ती की मंजूरी भी दे दी गई थी।
पीजी-डॉक्ट्रेट की उपाधि लेकर घर बैठे 3 हजार युवा
प्रदेश में करीब तीन हजार युवाओं ने पर्यावरण विषय में स्नातकोत्तर डॉक्ट्रेट की उपाधि पास की हुई है। हर साल करीब 400 युवा गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी हिसार, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक, चौ. देवीलाल यूनिवर्सिटी सिरसा, सेंट्रल यूनिवर्सिटी महेंद्रगढ़, दीनबंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी मुरथल, एमएम यूनिवर्सिटी अम्बाला, वाईएमसीए यूनिवर्सिटी फरीदाबाद, खालसा कॉलेज यमुनानगर पर्यावरण से इस विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री पास कर रहे हैं। 200 से ज्यादा ने इस विषय में नेट भी क्लियर किया हुआ है।
नियमित शिक्षकों को लेकर हम गंभीर: शर्मा
शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा का कहना है कि कॉलेजों में इस विषय के क्वालीफाइ शिक्षकों के नहीं होने का मामला सरकार की जानकारी में हैं। हम पूर्वी सरकारों की तरह ढुलमुल की पॉलिसी बनाकर इस विषय पर लीपापोती नहीं करेंगे। नियमित शिक्षकों की भर्ती के लिए गंभीरता से विचार हो रहा है। पर्यावरण विषय आज के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है। db
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