** अनदेखी : 25 मई से मासिक टेस्ट की डेट भी घोषित, किताबों के देरी से आने का कौन है जिम्मेदार
रोहतक : शिक्षासत्र बीते एक माह से ज्यादा हो गया है, लेकिन प्रदेश के 8 हजार से ज्यादा राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है। शिक्षा विभाग ने कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक की नई किताबें अभी तक सभी स्कूलों में नहीं भेजी है।
इस वर्ष सिलेबस में बदलाव होने के कारण हर वर्ष की तरह इस बार उधारी की किताबों से भी काम नहीं चल पा रहा है। एक माह में सिलेबस का कुछ भी नहीं करवाया गया है। ऊपर से शिक्षा विभाग ने 25 मई से मासिक टेस्ट की डेट भी घोषित कर दी है। अब यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जब बच्चों ने कुछ पढ़ा ही नहीं तो एग्जाम कहां से देंगे, जबकि इस मासिक टेस्ट का मूल्यांकन वार्षिक प्रगति रिपोर्ट में भी किया जाता है। अब शिक्षा विभाग दावा कर रहा है कि वे 11 मई को नई पुस्तकों का विमोचन करवा रहे हैं और 15 मई तक किताबें स्कूलों में पहुंच जाएंगी।
अब यह प्रश्न उठता है कि जब किताबों में बदलाव करना ही था तो सत्र शुरू होने से पहले क्यों नहीं किया गया? डेढ़ माह तक विद्यार्थियों की पढ़ाई के नुकसान का कौन जिम्मेदार है? किताबें विमोचन से पहले ही सभी स्कूलों में क्यों नहीं भेजी जा रही? क्या विमोचन बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा जरूरी है?
स्टेशनरी का भी नहीं आया फंड
स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक के प्रत्येक छात्र को 100 रुपए स्टेशनरी के लिए दिए जाते हैं। वहीं, छठी से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए 150 रुपए आते हैं, लेकिन अब तक यह राशि विभाग ने नहीं भेजी है। इस वजह से बच्चों को खरीदकर कापियां और अन्य स्टेशनरी लानी पड़ रही है।
मासिक टेस्ट की तिथि की घोषित
शिक्षा विभाग को यह भली-भांति पता है कि किताबें नहीं गई है और करीब 10 दिन तक जाएगी भी नहीं। इसके बावजूद शिक्षा कैलेंडर में कोई बदलाव नहीं किया गया। 25 से 31 मई से मासिक टेस्ट लेने की घोषणा की गई है। सात मासिक टेस्ट के नंबर भी बच्चों की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट में गिने जाते हैं। इन सात मासिक टेस्ट के 20 प्रतिशत अंक होते हैं। 20 प्रतिशत अंक अर्ध वार्षिक परीक्षा, 40 प्रतिशत वार्षिक परीक्षा और 20 प्रतिशत अंक सतत परीक्षा मूल्यांकन के होते हैं।
चौथी पांचवीं के विद्यार्थी पढ़ाई काे तरसे
राजकीय स्कूलों में पहली से तीसरी कक्षा में कहीं-कहीं कुछ किताबों के सेट आए हैं। उनसे ही दो-तीन विद्यार्थी इकट्ठा बैठकर पढ़ रहे हैं, लेकिन जिसके पास किताबें नहीं हैं, वे होमवर्क नहीं कर पाते। चौथी पांचवीं कक्षा में तो अधिकतर स्कूलों में एक भी किताब नहीं आई है।
सिलेबसमें बदलाव, पुरानी किताबें भी बेकार
राजकीयप्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान रामराज कादियान ने बताया कि पहले किताबें लेट होती थी तो पुरानी किताबें मंगवार कुछ दिन काम चला लेते थे, लेकिन इस बार सिलेबस में बदलाव किया जा रहा है। इस वजह से पुरानी किताबों से भी सिलेबस आगे नहीं बढ़ा सकते। बच्चे खाली बैठे इसलिए पुराने विद्यार्थियों से उनकी किताबें मंगवाकर बेसिक एजुकेशन दी जा रही है। यदि शिक्षा विभाग के दावे के अनुसार, 15 मई तक भी किताबें जाती हैं तो भी केवल 15 दिन के अंदर बच्चों का पूरा सिलेबस कैसे होगा।
जल्द आएं किताबें, बढ़ाई जाए परीक्षा की तिथि : अध्यापक संघ
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष विनोद ठाकरान ने बताया कि उनका प्रतिनिधिमंडल कई बार शिक्षा अधिकारियों से जल्द किताबें भेजने के बारे में मिल चुका है, लेकिन अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। यह भी नहीं बताया जा रहा कि किताबें क्यों नहीं रही हैं। शिक्षा विभाग बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा देने की बात कर रहा है, लेकिन एक माह तक किताबें नहीं मिलेंगी तो पढ़ाएंगे कैसे।
11मई को नई पुस्तकों का होगा विमोचन, 15 तक पहुंच जाएंगी पुस्तकें : शिक्षामंत्री
"इस बार सिलेबस नया है। 11 मई को पंचकूला में एससीईआरटी के तहत प्रकाशित की गई नई पुस्तकों का विमोचन होगा। 15 मई तक सभी कक्षाओं की पुस्तकें स्कूलों में पहुंच जाएंगी। जहां तक मंथली टेस्ट का सवाल है। इसकी तिथि कुछ आगे- पीछे हो सकती है। यह स्कूल मुखिया शिक्षा अधिकारी को तय करना है।"-- प्रो. रामबिलास शर्मा, शिक्षा मंत्री, हरियाणा db
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