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Wednesday, 10 August 2016

6 हजार शिक्षक सेमीनारों में और 4 हजार शिक्षक चुनाव ड्यूटी पर


** मौलिक शिक्षा महानिदेशक के आदेशों के बावजूद निर्वाचन विभाग ने लगाई ड्यूटी
** ऐसे कैसे सुधरेगी शिक्षा की क्वालिटी : कुल 35 हजार शिक्षकों में से 10 हजार अब स्कूल नहीं जा रहे हैं, जिस कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित चल रही है

चंडीगढ़ : प्रदेश में जो भी सरकार आई हो, उसने शिक्षा की गुणवत्ता को आधार मानकर कई प्रयोग किए, मगर उन प्रयोग की असफलता से कोई सीख नहीं ली। ऐसा ही कुछ वर्तमान में चल रहा है। राज्य के करीब 6 हजार शिक्षक सेमीनारों में व्यस्त हैं और 4 हजार शिक्षकों की ड्यूटी निर्वाचन आयोग ने सर्वे में लगा दी है। ऐसे में कुल 35 हजार शिक्षकों में से 10 हजार अब स्कूल नहीं जा रहे हैं, जिस कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित चल रही है। 
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 8893 प्राइमरी स्कूल हैं जिनमें 35 हजार शिक्षक काम कर रहे हैं। इनमें 29 हजार शिक्षक नियमित हैं। प्राथमिक स्कूलों में इस सत्र पर नजर दौड़ाई जाए तो पढ़ाई नाम की कोई चीज इस बार नहीं हुई है। सत्र की शुरुआत में जहां शिक्षकों को सर्वे करने था, वहीं गर्मियों के कारण 20 मई को ही अवकाश घोषित कर दिए गए। अब जुलाई माह में स्कूल खुले तो शिक्षकों के सेमीनार लगा दिए गए।
कई शिक्षकों के पास दो से तीन कक्षाएं हैं। ऐसे में उन शिक्षकों के अधिक बार सेमीनार लगाए जा रहे हैं। एक बार में 6 हजार से ज्यादा शिक्षकों के सेमीनार लगते हैं। रही-सही कसर राज्य निर्वाचन आयोग ने पूरी कर दी है। आयोग ने 4 हजार प्राथमिक शिक्षकों को घर-घर जाकर सर्वे करने का जिम्मा दिया है। राज्य चुनाव आयोग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि यह कार्य 15 दिन में पूरा हो जाना चाहिए। अन्यथा शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। शिक्षा विभाग शिक्षकों से बेहतर परिणाम की आस लगाए बैठा है। 
महानिदेशक, मौलिक शिक्षा ने एक पत्र जारी कर सभी जिलों के मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने वाले किसी भी शिक्षक से सीएलओ ड्यूटी ना ली जाए, लेकिन निर्वाचन आयोग ने शिक्षकों पर दबाव बनाकर इस ड्यूटी के लिए बाध्य कर दिया है। 
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद ठाकरान, महासचिव दीपक गोस्वामी, शिक्षक नेता तरुण सुहाग, कृष्ण राणा, विनोद चौहान और राजेश शर्मा ने कहा कि अगर सरकार शिक्षकों से बेहतर परिणाम की उम्मीद करती है तो शिक्षक को केवल शिक्षक ही रहने दिया जाए। सरकार को चाहिए कि शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेना तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए।                                         dj 

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