** भर्ती में बोर्ड के सदस्यों द्वारा दी गई नोटिंग पेश करने का आदेश
** पीटीआइ टीचर भर्ती मामले में आज होगी सुनवाई
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की एकल बेंच के बाद अब डिवीजन बेंच ने भी 1983
पीटीआइ टीचर भर्ती मामले में हरियाणा स्टॉफ सलेक्शन बोर्ड पर सवालिया
निशान लगाते हुए बोर्ड के सभी सदस्यों द्वारा भर्ती प्रक्रिया के बारे में
की गई नोटिंग सोमवार 8 जुलाई तक तलब की है। 1हाई कोर्ट की एकल बेंच ने लगभग
9 महीने पूर्व 1983 पीटीआइ टीचर की भर्ती को रद करते हुए सरकार को आदेश
दिया था कि वह पांच महीने के भीतर नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करे।
एकल बेंच ने उस समय के हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन पर तल्ख
टिप्पणी भी की थी, उसी चेयरमैन को हरियाणा टीचर भर्ती बोर्ड का चेयरमैन
नियुक्त करने के खिलाफ याचिका पर ही हाईकोर्ट पिछले दिनों टीचर भर्ती के
परिणाम पर रोक लगा चुका है। एकल बैंच के फैसले से प्रभावित पीटीआइ शिक्षकों
व सरकार ने डिवीजन बैंच में अपील दायर की थी। अब डिवीजन बैंच ने कोई राहत
न देते हुए एकल बैंच के फैसले पर रोक नहीं लगाई। बीते दिन सुनवाई के
दौरान जस्टिस सूर्य कांत पर आधारित खंडपीठ ने स्टॉफ सलेक्शन कमीशन को आदेश
दिया है कि वो कोर्ट में इस भर्ती का पूरा विवरण दे। कोर्ट ने बोर्ड से
पूछा है कि वो कोर्ट को यह जानकारी दे कि पीटीआइ भर्ती के लिए कितने आवेदन
आए, कितने उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया, कितनी कमेटी
साक्षात्कार के लिए बनाई गई व प्रत्येक उम्मीदवार को साक्षात्कार के लिए
कितना समय दिया गया। कोर्ट ने बोर्ड द्वारा साक्षात्कार के अंक 25 से
बढ़ाकर 30 करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह निर्णय किस स्तर पर लिया इसकी
जानकारी भी दी जाए। कोर्ट ने भर्ती नियम के बारे में बोर्ड के चेयरमैन व
सदस्यों द्वारा की गई नोटिंग की पूरी जानकारी भी पेश करने को कहा है। 1यह
है मामला1हरियाणा स्टाफ सलेक्शन क मीशन ने 10 अप्रैल 2010 को फाइनल सलेक्शन
लिस्ट जारी कर यह पीटीआइ टीचरों की नियुक्तियां की थीं। मामला कोर्ट में
पहुंचने के बाद हाईकोर्ट ने 11 सितंबर को 1983 पीटीआइ टीचरों की नियुक्ति
को रद कर दिया था। तब हाईकोर्ट ने कहा था कि इस नियुक्ति प्रक्रिया में
आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। साक्षात्कार होल्ड करवाने वाले आयोग की
सिलेक्शन कमेटी के सदस्यों द्वारा कार्यवाहियों में शामिल न होने से आयोग
की नकारात्मक छवि को उजागर करता है। दस्तावेज खुलासा करते हैं कि ये
नियुक्तियां आयोग के निर्धारित नियमों के तहत नहीं हुई हैं और इन्हें
गैरकानूनी कहना गलत नहीं है।
खंडपीठ ने यहां तक कहा कि बहुसदस्यीय कमीशन होने के बाद भी कार्यप्रणाली से
ऐसा लगता है कि यह सब एक व्यक्ति के कहने से चल रहा है। कोर्ट ने कमीशन के
चेयरमैन व सदस्यों पर भी टिप्पणी की थी। ..DJ
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.