रोहतक : एचटेट में बैठने के लिए लाखों लोगों ने आवेदन किए। हजारों रुपए खर्च कर तैयारियों को अंतिम रूप दिया। परीक्षा का दिन आया तो बिस्तर से उठते ही परीक्षा केन्द्र की ओर रूख किया। लंबी दूरी तय करने के बाद भी कुछ लोगों को केंद्र नहीं मिला। कुछ पहुंच भी गए तो चंद मिनट देरी से पहुंचने के कारण उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया। सारी तैयारियों पर पानी फिरा तो दिल में रह गया तो बस परीक्षा में शामिल न हो पाने का मलाल।
सेंटर दूर हाने से तनाव
सैकड़ों किलोमीटर दूर बनाए परीक्षा केन्द्रों को लेकर आवेदक पहले से ही तनाव में थे। जाम व अव्यवस्था के चलते मात्र दस मिनट देरी से पहुंचने पर हजारों परीक्षार्थियों को एंट्री नहीं मिली। सुरक्षा कर्मियों से लेकर परीक्षा ड्यूटी में लगे अन्य अधिकारियों से भी गुहार लगाई।
कई महिलाएं तो साल खराब होने का हवाला देकर रोने तक लगीं, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। आखिरकार उन्हें बिना परीक्षा दिए ही वापस लौटना पड़ा। ऐसे ही कुछ लोगों अपनी बात साझा की तो परीक्षा को लेकर उनका दर्द जुबां पर आ ही गया।
अस्थल बोहर निवासी बिजेंद्र ने बताया कि उसकी पत्नी संतोष ने एचटेट की दिन रात तैयारी की। फरीदाबाद स्थित परीक्षा केन्द्र पहुंचने के लिए सुबह 9 बजे ही बस पकड़ ली। उम्मीद थी कि परीक्षा से एक डेढ़ घंटा पहले पहुंच जाएंगे, लेकिन रास्ते में कई जगह जाम और केन्द्र ढूंढने के चक्कर में समय पर नहीं पहुंच सके, जिसके चलते पत्नी को परीक्षा से वंचित रहना पड़ा। बोर्ड ने परीक्षा केन्द्र बहुत दूर बनाए, जिसके चलते कई की परीक्षा छूट गई। परीक्षा छूटने से मायूस पत्नी ने दो वक्त खाना भी नहीं खाया।
किला रोड निवासी जतिन अनेजा की पत्नी शैलजा का परीक्षा केन्द्र बल्ल्भगढ़ था। जल्दी पहुंचने के लिए निजी कार से गए। पहले बोहर में आधा रास्ता बंद मिला, इसके चलते गांवों के कच्चे रास्तों से निकलकर आगे बढऩा पड़ा। जाम के चलते नजफगढ़, गुडग़ांव एमजी रोड के बाद तीन बजे तक फरीदाबाद में ही फंसे रहे, जिसके चलते बल्ल्भगढ़ जाने की बजाय वापस लौटना पड़ा। शैलजा का कहना है कि इतनी दूरी पर परीक्षा केन्द्र बनाने का क्या तर्क है कि परीक्षार्थी वहां आसानी से पहुंच ही ना सकें। आवेदन के बाद कोचिंग भी ली, लेकिन परीक्षा छूट गई, जिसका दुख हमेशा रहेगा।
नेहरू कालोनी निवासी नितिन अरोड़ा की पत्नी खुशबू का सेंटर फरीदाबाद था। परीक्षा केन्द्र पर पहुंचने के लिए अपनी कार का सहारा लिया। डेढ़ बजे फरीदाबाद में प्रवेश भी कर गए, लेकिन जाम इतना लंबा था कि 2.50 बजे तक दस कदम भी आगे नहीं बढ़ सके। जैसे तैसे परीक्षा केन्द्र पहुंचे, लेकिन 10 मिनट लेट होने के कारण परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया, इसके चलते बैरंग ही लौटना पड़ा। खुशबू का कहना है कि अगर परीक्षा केन्द्र नजदीक होते तो शायद परीक्षा में शामिल होने का मौका मिल जाता। db
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