झज्जर : सरकार ने राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की साइंस क्षमता बढ़ाने और उसे प्रोत्साहित करने के लिए बाल वैज्ञानिक योजना चलाई है। इस योजना में शामिल हर बच्चों को साइंस माडल बनाने के लिए पांच हजार रुपए दिए गए, ताकि वे अपने स्कूल टीचर के मार्गदर्शन में ऐसा माडल तैयार कर सकें जो देश समाज के काम आए।
इसी कड़ी में एक प्रदर्शनी का शुभारंभ सोमवार को शहर के राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल में हुआ। यहां विभिन्न स्कूलों से आए बच्चों ने साइंस के माडल प्रदर्शनी के लिए रखे। अहम बात ये है कि इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी के पहले दिन ही कोई ऐसा माडल नहीं दिखाई दिया हो जो यूनीक हो। बच्चों ने परंपरावादी माडलों का प्रदर्शन अपने विवेक हुनर के आधार पर किया। इनमें अधिकांश माडल गत्ते और थर्माकोल सीट पर बने थे। किसी माडल का खर्चा 25 रुपए तो किसी पर पांच सौ रुपए तक आया। कई बच्चे तो बजट की राशि खर्चा किए बिना घरेलू सामानों को जुटाकर माडल बनाकर लाए। अब सवाल ये नहीं है कि बच्चों ने दिए गए बजट की राशि को साइंस माडल में खर्च नहीं किया। अहम बात ये है कि अधिकांश बच्चों ने कहा कि उन्हें स्कूल में इस संबंध में मोटीवेट करने वाले टीचर नहीं मिले।
बच्चे बोले, बाकी बजट करेंगे पढ़ाई पर खर्च
प्रदर्शनी में मौजूद बाल-सुलभ मन के बच्चों ने अपने बजट की खर्च राशि नहीं छुपाई और साफ-साफ बजट का खुलासा कर दिया। साथ ही ये भी कहा कि बाकी बजट की राशि को वे अपनी पढ़ाई में लगाएंगे। धांधलान राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल से आए कक्षा 9 के छात्र वरुण ने जल शुद्धिकरण का माडल बनाया। इस छात्रा ने बताया कि उसके ये माडल बनाने में एक भी पैसा खत्म नहीं हुआ। वह इससे अच्छा और क्या बनाता इसकी जागरूकता भी स्कूल से नहीं मिली। ये माडल भी उसने अपने भाई के कहने पर बनाया। यह छात्र बोला कि उसे जो बजट मिला है उसे पढ़ाई पर लगाएगा। इसी प्रकार गत्ते पर हार्ट का माडल बनाकर लाई सुरखपुर राजकीय मिडिल स्कूल की छात्रा सरिता ने माना कि उसके महज 25 रुपए खर्च हुए, बाकी राशि वो अपनी साइंस की पढ़ाई पर वहन करेगी। इसी प्रकार रोहद राजकीय स्कूल की कक्षा 10 की छात्रा कोमल रूढ़ियावास की स्नेह जो गत्ते थर्माकोल पर स्कैच के जरिए माडल बनाकर लाई थी। db
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