** राज्यों की सुस्ती पर एचआरडी मंत्रलय ने जताई चिंता
नई दिल्ली : सरकारी वजीफे के योग्य छात्रों को इसे हासिल करने के संघर्ष से आजादी दिलाने की योजना खुद सुस्ती का शिकार हो गई है। कालेज और विश्वविद्यालयों के लगभग सवा लाख मेधावी छात्रों को हर महीने उनके खाते में एक से दो हजार रुपये पहुंचा देने की योजना लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय ने इस पर राज्यों को नए सिरे से कमर कस लेने को कहा है।
एचआरडी मंत्रलय के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, तमाम तैयारियों के बावजूद छात्रवृत्ति की रकम सीधे खाते में डालने (डीबीटी) की योजना अपने लक्ष्य से बेहद पीछे है। कालेज और विश्वविद्यालय के 1.20 लाख छात्रों को सालाना 140 करोड़ रुपये का वजीफा दिया जाता है। अकादमिक वर्ष 2013-14 के दौरान 82 हजार नए छात्रों के खाते में धन हस्तांतरित करना था। मगर, इस लक्ष्य के मुकाबले महज 43,458 छात्रों को ही डीबीटी का फायदा मिल सका। यहां तक कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, कर्नाटक, मिजोरम और नगालैंड ने तो इस वर्ष के लिए छात्रों की सूची ही उपलब्ध नहीं करवाई।
मंत्रलय के अधिकारी के मुताबिक जिन छात्रों को नए अकादमिक वर्ष के लिए छात्रवृत्ति जारी रखनी है, उनकी पुष्टि और नवीकरण की प्रक्रिया भी बहुत सुस्त है। बहुत से राज्यों ने पिछले साल की रकम का उपयोग प्रमाणपत्र भी तैयार नहीं किया है। ऐसे में मंत्रलय ने राज्यों को अतिरिक्त सक्रियता दिखाते हुए समय से लक्ष्य पूरा करने को कहा है।
पिछले साल हुई थी शुरुआत
लंबी तैयारियों के बाद एक जनवरी, 2013 को यह योजना शुरू की गई थी, ताकि छात्रों को समय से धन मिल सके। इसके अलावा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) की ओर से 29-29 हजार छात्रों को विभिन्न योजनाओं के तहत अलग से आर्थिक मदद उपलब्ध करवाई जाती है।
किसे मिलती है छात्रवृत्ति
स्नातक और स्नातकोत्तर के नियमित पाठ्यक्रम के ऐसे छात्रों को आर्थिक मदद दी जाती है, जिनके परिवार की सालाना आय छह लाख रुपये से कम हो। विभिन्न बोर्डो की इंटरमीडिएट या 12वीं की परीक्षा में सबसे ज्यादा नंबर पाने वाले 20 फीसदी छात्रों में से इन्हें चुना जाता है।
क्या मिलता है छात्रवृत्ति में
स्नातक पाठ्यक्रमों के छात्रों को महीने के एक हजार और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के छात्रों को दो हजार रुपए दिए जाते हैं। यह रकम हर अकादमिक वर्ष में दस महीने दी जाती है। dj
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