** शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता ने एससीईआरटी कार्यालय में पत्रकारों से की बात
गुड़गांव : शिक्षा का अधिकार नियम 134ए को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। लेकिन इससे पहले हाईकोर्ट के फैसले की स्टडी करनी होगी। हम गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में पैसे देकर नहीं पढ़ाएंगे। इससे अच्छा है कि हम उन्हें सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं। यह बात गुरुवार को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता ने एससीईआरटी कार्यालय में पत्रकारों के समक्ष कही। उन्होंने कहा कि 134ए के तहत निजी स्कूलों को गरीब बच्चों के एडमिशन के लिए बाध्य किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आरटीई के तहत निजी स्कूलों को 25 प्रतिशत फीस देने की बात कही गई है, लेकिन पैसे देकर नहीं पढ़ाया जा सकता। इससे सरकार पर 250 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। हमारे पास सरकारी स्कूल उपलब्ध हैं। हम अपने टीचर्स को भी वेतन दें और 8200 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। पैसे देने से अच्छा है कि हम गरीब बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं। ऐसे में हम पहले हाई कोर्ट के फैसले को पढ़ेंगे और इसके बाद ही निजी स्कूलों पर एक्शन लेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले साल हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग पर निजी स्कूलों पर एक्शन लेने पर रोक लगा दी थी। इसलिए पिछले साल कोई एडमिशन नहीं हो सके। लेकिन यदि हाई कोर्ट के आदेश में एक्शन की बात कही गई तो निजी स्कूलों पर एडमिशन देने के लिए बाध्य किया जाएगा। db
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