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Thursday, 9 April 2015

बीएलओ की ड्यूटी : पुनर्विचार करे विभाग

शिक्षा विभाग का एक और कदम व्यवस्था के कोढ़ में खाज साबित होने जा रहा है। अध्यापकों की कमी के शिक्षा पर पड़ते प्रतिकूल प्रभाव के बीच एक और फरमान जारी हुआ कि प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के छह हजार शिक्षकों की ड्यूटी मतदाताओं को आधार कार्ड से जोड़ने के काम में रहेगी। इस दौरान ये न तो पढ़ा पाएंगे, न दाखिला प्रक्रिया के दौरान स्कूलों में मौजूद रहेंगे। यानी वे गुरू जी न रह कर केवल बूथ लेवल अधिकारी की भूमिका में रहेंगे। साथ ही धमकी जैसी चेतावनी भी दी गई है कि जो बीएलओ की ड्यूटी नहीं देंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। सरकार की कथनी और करनी का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है कि एक तरफ तो वह स्वयं सार्वजनिक सूचना देती है कि अध्यापकों के हजारों पद खाली हैं, अनेक कारणों से सभी पदों को निश्चित समय सीमा में भरना संभव नहीं, दूसरी ओर तमाम प्रावधानों, आपत्तियों, विरोधों के बावजूद प्राइमरी, मिडिल अध्यापकों को शिक्षा से इतर कार्य में झोंकने का आदेश जारी कर दिया। अनेक सवाल उठ रहे हैं जिनका जवाब दिया जाना बेहद जरूरी है। मौलिक शिक्षा महानिदेशक सभी संबद्ध अधिकारियों को आदेश दे चुके हैं कि बीएलओ का काम शिक्षकों से न करवाया जाए, तो क्या यह माना जाए कि उन्होंने विभाग और सरकार को विश्वास में लिए बिना अपने स्तर पर ही आदेश जारी कर दिया? यदि सबके संज्ञान में लाते हुए आदेश दिया तो उसमें यू-टर्न लाने के लिए किसने बाध्य कर दिया? शिक्षा का अधिकार कानून में भी स्पष्ट उल्लेख है कि यदि अध्यापकों को शिक्षण से अलग कार्य में लगाया गया तो शिक्षा की गुणवत्ता निश्चित तौर पर प्रभावित होगी। तो क्या नए आदेश से पहले उस कानून पर भी विचार नहीं किया गया? सबसे बड़ा सवाल कि नए दायित्व के कारण स्कूलों में पढ़ाई सुचारू रखने के लिए क्या अतिरिक्त प्रबंध किए जा रहे हैं? दाखिला प्रक्रिया प्रभावित न हो ,इसके लिए क्या उपाय होंगे? अध्यापकों के तेवरों से ऐसे आंदोलन का आधार तैयार हो रहा है जिसमें सभी वर्गो के शिक्षक कूद सकते हैं। सरकार लाख दावे करे लेकिन यह कड़वी सच्चाई है कि शिक्षा क्षेत्र में अराजकता की स्थिति है और इसके निकट भविष्य में सामान्य होने की संभावना भी नजर नहीं आती। व्यापक संदर्भो में मामले की गंभीरता को समझते हुए विभाग को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। सरकार हर गैर शैक्षिक कार्य के लिए अध्यापकों को आगे करने की प्रवृत्ति से बाज आए।                                                                               djedtrl

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