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Thursday, 28 May 2015

बदलती शिक्षा नीतियों ने बनाया छात्रों को अनपढ़

चंडीगढ़ : सरकारी स्कूलों के दसवीं और बारहवीं के खराब परीक्षा परिणाम को लेकर मची हाय-तौबा थम नहीं रही है। सियासी दलों के बीच मचे घमासान में अब फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन भी कूद पड़ी है। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने प्रदेश में गिरते शिक्षा स्तर के लिए सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है। उनकी नजर में हर सत्र में बनाई जा रही नई शिक्षा नीतियों ने बच्चों को अनपढ़ बना दिया है।
उन्होंने कहा कि खराब रिजल्ट पर मंथन की बात तो दूर, आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। शिक्षा में सुधार के नाम पर कमेटियां बनाई जाती हैं लेकिन इन कमेटियों में शिक्षा देने वाले अध्यापकों और स्कूल संचालकों को शामिल ही नहीं किया जाता। पूर्व सरकार के समय कई नीतियों के फेल होने के बाद केवल उसी छात्र को आठवीं कक्षा तक पास करने का निर्णय लिया गया था जो आंतरिक मूल्यांकन के साथ लिखित छमाही मासिक परीक्षा में 33 प्रतिशत अंक हासिल करेगा। वर्तमान में सरकार की नीति इसी फामरूले पर चल रही है। कुलभूषण के अनुसार आठवीं तक किसी को फेल न करने की नीति सबसे घातक है। 
खराब परिणाम चिंता का विषय : 
मुख्यमंत्री मनोहर लाल दसवीं कक्षा के स्कूली नतीजों को लेकर स्वयं चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के परीक्षा परिणाम को अलग कर दिया जाए तो सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम मात्र 41 प्रतिशत रहा है। यह चिंतनीय है। प्रदेश में नए स्कूल अपग्रेड करने के लिए व्यापक योजना बनाई जा रही है। सरकार 20 हजार अध्यापकों की भर्ती जल्द करेगी।                                                      dj

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