चंडीगढ़ : पिछली पेशी पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से राहत पाने वाले 778 जूनियर बेसिक टीचरों (जेबीटी) पर अब कार्रवाई की तलवार लटक गई है। सोमवार को कोर्ट ने सरकार से पूछा कि इन शिक्षकों को सिर्फ नोटिस ही क्यों दिया गया, एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करवाई। इसके साथ ही इन शिक्षकों पर की गई कार्रवाई का ब्यौरा तलब करते हुए 25 मई की सुनवाई रखी है। इससे पहले हाईकोर्ट ने सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें इन शिक्षकों को हटाने के आदेश दिए थे।
सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि सभी 778 शिक्षकों को नोटिस जारी करते हुए उनकी सेवाओं को समाप्त करने पर जवाब मांगा गया था। जवाब आने पर सरकार उनकी सेवाएं समाप्त करने जा रही थी। इसी बीच हाईकोर्ट की एक अन्य बेंच ने इन शिक्षकों की सेवाओं को समाप्त करने पर रोक लगा दी। सरकार के इस जवाब पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि यदि फॉरेंसिक जांच में शिक्षक दोषी पाए गए थे, तो उनके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं करवाई गई। ऐसे में अगली सुनवाई पर सरकार बताए कि इन शिक्षकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
सरकार ने 2011 में मांगे थे भर्ती के लिए आवेदन
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2011 में 8341 शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। इस भर्ती पर सवाल उठाते हुए याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि पात्रता परीक्षा के अंगूठे के निशान हस्ताक्षरों और चयन परीक्षा के अगूठे के निशान और हस्ताक्षरों की जांच नहीं की गई है। हजारों उम्मीदवारों ने फर्जी तरीके से इस भर्ती में हिस्सा लिया और नौकरी हासिल कर ली। हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे और हरियाणा सरकार ने स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो को अंगूठे के निशान के 7965 सैंपल जांच के लिए भेजे थे। इनमें से 778 उम्मीदवारों के अंगूठे के निशान फर्जी पाए गए थे। db
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