** नीरस हिस्सों को हटाया जाएगा, नए पाठ्यक्रम में होंगे आकर्षक टॉपिक्स
एससीआरटी (स्टेट काउंसिल रिसर्च ट्रेनिंग) द्वारा पहली से पांचवीं तक का नया सिलेबस अगले वर्ष से लागू होगा। इन क्लासों के सिलेबस में बस्ते के बोझ को कम करने रोजमर्रा की गतिविधियों से जोड़ने का प्रयास किया गया है। पाठ्यक्रम में इस बदलाव का उद्देश्य किताबों को अधिक जानकारीपरक आकर्षित बनाने का था। किताबों को अधिक कलरफुल करते हुए अधिक से अधिक चित्रों को शामिल किया जा रहा है। एससीईआरटी के विशेषज्ञों का मानना है कि अगले वर्ष से पहली से पांचवीं तक का सिलेबस बदल सकता है।
प्रदेश में पहली से पांचवीं कक्षा की किताबों में वर्ष 2000 में बदलाव किया गया था। इन किताबों से कुछ नीरस हिस्सों को हटाकर आकर्षित चित्रों कुछ नई चीजों को शामिल किया गया है। इस बार सिलेबस को बदलते हुए बस्ते के बोझ को कम करने, साफ-सफाई रोजमर्रा की गतिविधियों को जोड़कर बच्चों के आधार को मजबूत किए जाने पर एससीईआरटी के विशेषज्ञों द्वारा रिसर्च की गई है। इसके लिए काउंसिल में छह कार्यशालाओं के माध्यम से अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञों की राय ली थी।
बस्ते का 20 प्रतिशत बोझ किया कम
एससीईआरटी के विशेषज्ञों का कहना है कि नन्हे बच्चों के बस्ते के बोझ को कम करने की ओर काम किया गया है। इसके लिए कम से कम पेज पर ज्यादा से ज्यादा चीजों को शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। इस पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए कुछ पाठों को हटाया गया है, जो विशेषज्ञों की राय पर हटाए जा सकते थे। एनके वर्मा ने बताया कि मैथ में बच्चों को समझाने के लिए अधिक से अधिक सवालों को विजुअलाइज किया जा रहा है।
15 वर्ष बाद हो रहा है बदलाव
"करीब 15 वर्ष बाद प्राथमिक कक्षाओं का सिलेबस बदला जा रहा है। शिक्षा निदेशालय एससीईआरटी के विशेषज्ञों की राय पर बदलाव किया है।"-- स्नेहलताअहलावत, निदेशक, एससीईआरटी, गुड़गांव dbgrgn
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