पानीपत : गेस्ट टीचरों का दबाव झेल रही खट्टर सरकार के ऊपर अब दोहरा दबाव होगा। नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे जेबीटी और नियमित भर्ती की मांग कर रहे पात्र अध्यापक पक्की नौकरी देने की मांग को लेकर रविवार को रोहतक में आंदोलन की रणनीति बनाएंगे।
गेस्ट टीचरों को नौकरी से हटाने के लिए दिए गए 24 घंटे की अवधि शनिवार को बीत गई। कोई सर्वमान्य हल नहीं निकला। अब बहुत कुछ 27 मई को कोर्ट के रुख पर निर्भर करेगा। इधर, विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला ने मांग की कि गेस्ट टीचरों को नियमित करन के लिए सरकार नीति बनाए और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए। कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने गेस्ट टीचरों को दिए नोटिस वापस लेने की मांग की।
शपथपत्र दे सकती है सरकार
गेस्ट टीचरों को बढ़ते दबाव के चलते सरकार हाईकोर्ट में शपथपत्र दे सकती है। जिसमें सरप्लस ट्रेंड ग्रेजुएट टीचरों (टीजीटी) को पीजीटी के खाली पदों पर पदोन्नत करने का विकल्प दे सकती है। शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा भी इसकी पुष्टि करते हैं कि पदोन्नति के जरिये गेस्ट टीचरों के लिए बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है। अब यह कोर्ट पर निर्भर होगा कि सरकार को अनुमति देती है या नहीं।
...तो अटकेगी नियमित भर्ती
शिक्षाविद मानते हैं कि सरकार का यह कदम स्थाई समाधान नहीं। क्योंकि सरकार पहले ही पीजीटी के करीब 8 हजार और टीजीटी के करीब ढाई पदों पर नियमित भर्ती के लिए भर्ती बोर्ड को लिख चुकी है। ऐसे में या तो नियमित भर्ती अटकेगी। या दोबारा गेस्टों की छुट्टी करने की प्रक्रिया चलाएगी।
गेस्ट टीचर की अर्जी ही पड़ गई भारी
शीर्षकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार गेस्ट टीचरों को किसी किसी तरीके से बचाती रही। इसी बीच एक गेस्ट टीचर सीमा देवी की नौकरी चली गई तो उसने हाईकोर्ट में अर्जी लगा दी। जिसमें कहा कि उसे हटा दिया गया लेकिन बाकी गेस्ट टीचर काम कर रहे हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया कि गेस्ट टीचरों को हटाने के मामले में आदेशों की पालना क्यों नहीं हुई।
क्यों आई ये नौबत, यूं समझें
- अम्बाला के तिलकराज की याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 30 मार्च 2011 को निर्देश दिए कि गेस्ट टीचरों का कार्यकाल 31 मार्च 2012 के बाद बढ़ाया जाए।
- प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी। शीर्ष कोर्ट ने 30 मार्च 2012 को आदेश दिया कि नियमित भर्ती होने तक गेस्ट टीचरों की सेवाएं बनाई रखी जाएं।
- अरुण कुमार बनाम राज्य सरकार के मामले में सरकार ने 322 दिन के भीतर जेबीटी और 434 दिन में पीजीटी की नियमित भर्ती करने की बात कही थी।
- राइट टू एजुकेशन, 2009 लागू होने के बाद मास्टर वर्ग और सीएंडवी कैडर के 10,357 पदों को पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) में बदल दिया गया। इसी वजह से सरकारी स्कूलों में गणित, सोशल साइंस और हिंदी विषयों को गेस्ट टीचरों के पद सरप्लस हो गए।
- 2012 में हुड्डा सरकार ने कोर्ट में शपथपत्र दिया कि ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) के जितने गेस्ट टीचर काम कर रहे हैं, उनकी संख्या स्वीकृत पदों से ज्यादा है।
सरकार पर हाईकोर्ट की अवमानना की तलवार
ताजा मामला फतेहाबाद के पात्र अध्यापक विजेंद्र की याचिका से संबंधित है। प्राइमरी टीचर (जेबीटी) पद पर नियुक्ति के बावजूद विजेंद्र की ज्वाइनिंग नहीं कराई गई है। 11 मई को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को कहा कि सरप्लस गेस्ट टीचरों को नौकरी से हटाने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है।। इस मामले में अगली सुनवाई 27 मई को होनी है, जिस पर सरकार को कम्प्लाइंस रिपोर्ट देनी है।
15 हजार बनाम 1 लाख
इस वक्त सरकारी स्कूलों में करीब 15 हजार गेस्ट टीचर हैं। जिनमें से दो हजार पीजीटी और साढ़े छह-साढ़े छह हजार जेबीटी और टीजीटी हैं। दूसरी तरफ करीब एक लाख युवा एेसे हैं, जिन्होंने पात्रता परीक्षा (एचटेट) पास कर रखी है और नियमित भर्ती की मांग कर रहे हैं। पिछले पांच सालों में नियमित अध्यापकों की करीब 35 हजार भर्तियां हुई हैं। अभी भी 20 हजार भर्तियां किसी किसी स्तर पर चल रही हैं।
इधर, पात्रों शिक्षकों की मांग नियमित भर्ती करे सरकार
चयन के बावजूदनियुक्ति मिलने से परेशान पात्र अध्यापक रविवार को रोहतक में जुटेंगे। उनकी मांग है कि चयनित जेबीटी को नियुक्ति दी जाए और गेस्ट टीचरों को हटाकर नियमित भर्ती की जाए। db
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