** बच्चे के वजन का 10% से ज्यादा नहीं होना चाहिए बस्ते का बोझ। पर 35% तक भारी रहता है बस्ता।
** 58% बच्चों में भारी बस्ते से मिली गर्दन, कमर, पीठ दर्द की सबसे ज्यादा शिकायतें।
** महाराष्ट्र सरकार की कमेटी की रिपोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट में पेश, जज ने कहा- जल्द ही ट्रॉली बैग के साथ जाना पड़ेगा स्कूली बच्चों को
मुंबई : देश के करीब 58 फीसदी स्कूली बच्चे बस्ते के भारी बोझ के कारण बीमारी के शिकार हो रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार की एक कमेटी की रिपोर्ट में शुक्रवार को यह खुलासा हुआ है। इसके बाद कोर्ट ने कहा, 'जल्द ही बच्चों को ट्रॉली बैग के साथ स्कूल जाना पड़ेगा। क्योंकि अभी पीठ पर जितना भारी स्कूल बैग लादकर वे जा रहे हैं, वह भी नाकाफी साबित हो रहा है।'
बॉम्बे हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल बैग के बोझ के कारण 10 साल से कम के बच्चे भी हडि्डयों की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। मामले की सुनवाई कर रही बेंच के जस्टिस बीपी कोलाबावाला ने भी कहा, 'स्कूलों में बच्चों को रोज सभी विषय पढ़ाए जाते हैं। इसलिए उन्हें रोज सभी कॉपी-किताबें ले जानी पड़ती हैं। ऐसे टाइम टेबल में बदलाव होना चाहिए।' सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा कि बच्चों को बस्ते के बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार स्कूलों में ही लॉकर बनाने की सोच रही है।
इस पर बेंच के दूसरे जस्टिस वीएम कनाडे ने कहा, 'ऐसे तो बच्चों के माता-पिता को दो-दो सैट में कॉपी-किताबें खरीदनी पड़ेंगी। एक सैट घर के लिए और दूसरा स्कूल के लिए। क्योंकि बच्चों को बहुत ज्यादा होमवर्क दिया जाता है।'
कोर्ट में आए सुझाव दिए गए कि सरकार को स्कूल बैग का बोझ कम करने के लिए ई-क्लास रूम और ऑडियो-विजुअल तकनीक का इस्तेमाल करे। इस पर कोर्ट ने कहा, 'सुझाव अच्छे हैं। इन्हें जल्द से जल्द लागू किया जाए।' 23 जुलाई की सुनवाई में सरकार बताएगी कि वो क्या करेगी। db
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