** वेतन आयोग की सिफारिशों के विरोध में 27 को बैठक
नई दिल्ली : ट्रेडयूनियनों ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का विरोध किया है। मुखालफत करने वालों में लेफ्ट के साथ-साथ बीजेपी से जुड़े कर्मचारी संगठन भी हैं। इनका कहना है कि अभी तक के सभी आयोगों में से इसने सबसे कम वेतनवृद्धि की सिफारिश की है। महंगाई को देखते हुए इतनी वृद्धि की सिफारिश जायज नहीं है। सिफारिशों के विरोध में ये संगठन 27 नवंबर को बैठक भी करेंगे।
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ के महासचिव वीरेश उपाध्याय ने कहा, 'सरकार 23.55 फीसदी बढ़ोतरी बता रही है जबकि वास्तविक वृद्धि 16 फीसदी है। न्यूनतम और अधिकतम वेतन में अंतर भी बहुत ज्यादा है। ग्रेच्युटी की सीमा 10 से बढ़ाकर 20 लाख की गई है। इसका फायदा सीनियर अफसरों को मिलेगा।'
सीपीआई से जुड़े संगठन एटक के महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने कहा, '30 साल में सबसे कम वृद्धि प्रस्तावित है। महंगाई को देखते हुए यह संतोषजनक नहीं है। एचआरए की दर भी घटा दी गई है।' सीपीएम से जुड़े संगठन सीटू के प्रेसिडेंट एके पद्मनाभन ने कहा कि ये सिफारिशें कर्मचारियों के साथ अन्याय हैं।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संगठन (सीसीजीई) के प्रेसिडेंट केकेएन कुट्टी ने कहा, यह एक मात्र आयोग है जिसने भत्ते घटाए हैं। वास्तविक बढ़ोतरी सिर्फ 14.28 फीसदी होगी। उन्होंने कहा कि 27 नवंबर को इन सिफारिशों के विरोध में बैठक करेंगे।
ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने भी कहा कि रेल कर्मचारी 27 तारीख को 'काला दिवस' के रूप में मनाएंगे। उन्होंने कहा कि न्यूनतम वेतन 18,000 नहीं बल्कि 26,000 रुपए होना चाहिए था। मिश्रा के मुताबिक सिफारिशों का ज्यादा फायदा ऊपरी ग्रेड के अधिकारियों को मिलेगा। निचले ग्रेड के कर्मचारियों को सबसे कम मिलेगा। हालांकि उन्होंने 'वन रैंक वन पेंशन' का स्वागत किया। db
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