** शिक्षा एक्ट के सेक्शन में किया जाएगा संशोधन
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार शिक्षा एक्ट (कानून) के उस सेक्शन को हटाने जा
रही है जिसके तहत निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का वेतन
बराबर होना चाहिए। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में 700
से अधिक स्कूल ऐसे हैं जो बच्चों से प्रतिमाह एक हजार रुपये से भी कम फीस
लेते हैं। ऐसे में वह सरकारी स्कूल के बराबर वेतन नहीं दे सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इस सेक्शन के तहत बच्चों से कम से कम तीन हजार रुपये
प्रतिमाह फीस ली जानी चाहिए। जबकि छोटी कॉलोनियों में रहने वाले लोग इतनी
फीस नहीं दे सकते हैं। इस सेक्शन में यह भी प्रावधान है कि निजी स्कूलों के
शिक्षकों का वेतन सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के बराबर होना चाहिए।
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का वेतन लगभग 40 हजार रुपये प्रतिमाह है। ऐसे
में ये स्कूल इतना वेतन नहीं दे सकते। मगर ये स्कूल शिक्षकों को तीन या चार
हजार रुपये ही वेतन देते हैं, जो गलत है। शिक्षा एक्ट में संशोधन के बाद
ऐसे स्कूलों के शिक्षकों को भी कम से कम 15 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिल
सकेगा। सिसोदिया ने कहा कि सरकार को इस प्रकार की सूचनाएं मिली हैं कि
कानून की आड़ में शिक्षा विभाग के लोग निजी स्कूल वालों को परेशान करते
हैं। इसलिए शिक्षा एक्ट के सेक्शन 10 को निरस्त करने का फैसला लिया गया है।
इस सेक्शन को समाप्त कर एक्ट में इस प्रकार की व्यवस्था की जाएगी कि
शिक्षकों का शोषण बंद हो और उन्हें पूरा वेतन मिले। यदि कोई स्कूल कम वेतन
देकर अधिक के चेक पर दस्तखत कराने के मामले में पकड़ा गया तो उसके खिलाफ
कार्रवाई होगी। अब सरकार शिक्षकों के लिए न्यूनतम वेज निर्धारित करने जा
रही है। इसके बाद अगर स्कूल उनको वेज नहीं देंगे तो सरकार उनके खिलाफ
कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा
कि यह तय किया जाएगा कि स्कूल की फीस और शिक्षकों का वेतन समान अनुपात में
हो। अब बड़े स्कूलों पर भी नजर रखी जा सकेगी कि वे स्कूल की आय के अनुसार
शिक्षकों को पूरा वेतन दे रहे हैं या नहीं। कम वेतन मिलने की शिकायत पर
स्कूलों पर सख्त कार्रवाई होगी।
स्कूलों के खातों की जानकारी होगी
ऑनलाइन
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बताया कि अब स्कूलों के खातों की जानकारी
और फीस स्ट्रक्चर सरकार वेबसाइट पर डालेगी। नियमानुसार सभी स्कूल सरकार को
हर साल अपना लेखा-जोखा भेजते हैं। सरकार अब इसे वेबसाइट के जरिए सार्वजनिक
करेगी। इससे इस बात का खुलासा हो सकेगा कि स्कूलों ने अभिभावकों से अधिक
पैसे तो नहीं वसूले हैं। dj
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