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Saturday, 14 November 2015

तकनीक में पिछड़ रहे सरकारी शिक्षक, आईसीटी करेगा अपडेट

** सरकारी शिक्षा में टेक्नोलॉजी : अब टीचर प्रोजेक्टर और पीपीटी से करा सकेंगे पढ़ाई, देंगे तकनीकी ज्ञान 
** कक्षा-6 से 10वीं तक के 3314 एसएस भाषा विषयों के शिक्षकों को ट्रेनिंग देकर बनाएंगे कुशल
रेवाड़ी : सरकारी स्कूलों में भी शिक्षकों को हाई-टेक करने की कवायद शुरू की गई है। इसके लिए मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के निर्देशानुसार एससीईआरटी गुड़गांव द्वारा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (अारएमएसए) के तहत इंफॉर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) प्रोग्राम शुरू किया गया है। इसमें शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर तकनीकी रूप से ट्रेंड किया जाएगा। मकसद है तकनीक में पिछड़ रहे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अपडेट रखना तथा जरूरत के समय प्रोजेक्टर और पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन (पीपीटी) के माध्यम से भी कक्षाओं में पढ़ाई कराएं तथा विभागीय योजनाओं की जानकारी रखने के साथ ही बच्चों को भी अपडेट रखें। टीचर ट्रेनिंग के लिए प्रदेशभर से चुनिंदा 84 मास्टर ट्रेनर के प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 
शिक्षक खुद जानें, तभी बच्चों को सिखाएंगे : ट्रेनिंग को-ऑर्डिनेटर 
एससीईआरटी में एजुकेशन टेक्नोलॉजी विंग के आरएमएसए ट्रेनिंग को-ऑर्डिनेटर मनोज कौशिक का कहना है कि सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर लैब की व्यवस्था है। लेकिन जब शिक्षक ही तकनीक ज्ञान नहीं तो बच्चों को कैसे सिखाएंगे। टीचर टीचिंग में भी पीपीटी या प्रोजेक्टर आदि से इनका प्रयोग कर सकेगा। 
इस फायदे के लिए कार्यक्रम 

  • शिक्षक में तकनीक का प्रयोग कर सके। 
  • अधिकतर को नहीं आता कंप्यूटर यूज करना, सीखें। 
  • कंप्यूटर लैब का भी सदुपयोग हो सके। 
  • शिक्षक स्टेट लेवल पॉलिसी की जानकारी रख सके। 
  • नेट पर विभाग की वेबसाइट चेक कर सके। 
  • सरकारी मैटर का कई बार टीचर को पता नहीं होता। 

84 मास्टर ट्रेनर करेंगे शिक्षकों को ट्रेंड 
शिक्षा में तकनीक के प्रयोग के लिए शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर ट्रेंड करेंगे। इसके लिए प्रदेशभर से मास्टर ट्रेनर (एमटी) को एससीईआरटी की ओर से ट्रेनिंग दी जा रही है। प्रथम चरण में 10 जिलों के मास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग हो चुकी है। इनमें अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुड़गांव, जींद, झज्जर, हिसार, करनाल, कैथल शामिल हैं। अब 16 से 21 नवंबर तक बाकी के 11 जिलों के मास्टर ट्रेनर को ट्रेनिंग दी जाएगी। इनमें रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, मेवात, पानीपत, पलवल, पंचकूला, रोहतक, सोनीपत, सिरसा यमुनानगर के मास्टर ट्रेनर हिस्सा लेंगे। ये मास्टर ट्रेनर इस ट्रेनिंग के बाद शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे। हसला के पूर्व प्रांतीय प्रधान एवं मास्टर ट्रेनर अनिल कुमार यादव का कहना है कि 23 नवंबर से शिक्षकों की भी ट्रेनिंग शुरू हाेगी। 
चुनौती : औपचारिकताओं में सिमट जाए योजना 
प्रदेश में करीब साढ़े 3 हजार सीनियर सेकेंडरी सेकेंडरी स्कूल हैं। लगभग सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में कंप्यूटर लैब बनाई गई है, वहीं काफी संख्या में सेकेंडरी स्कूलों में कंप्यूटर लैब हैं। कई स्कूलों में तो फुल फ्लेज्ड लैब होने के बावजूद भी ये नाममात्र के लिए खोली जाती हैं। कंप्यूटर टीचर ही बच्चों को माउस और की-बोर्ड पर हाथ चलाना जरूर सिखाते हैं। जबकि शिक्षकों के चलाने की तो बात ही दूर है। ऐसे में योजना के महज खानापूर्ति में सिमटने से रोकना भी विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगा। वहीं कई स्कूलों की कभी-कभार खुलने वाली लैब से भी धूल हटेगी। 
कंप्यूटर लैब सुविधा वाले स्कूलों से 3314 टीचर चयनित 
इसयोजना के तहत तकनीक के प्रयोग से कक्षा 6 से 10वीं के विद्यार्थियों के शिक्षा स्तर काे उठाने के प्रयास शुरू किए गए हैं। इसमें सामाजिक विज्ञान और भाषा विषयों के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाना है। यूं तो प्रदेशभर में शिक्षकों की संख्या काफी ज्यादा है लेकिन प्रथम चरण में 3314 शिक्षकों को ही ट्रेनिंग के लिए चुना गया है। अभी उन शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए चुना है जिनके स्कूलों में कंप्यूटर लैब मौजूद है। ताकि शिक्षक खुद सीखकर बच्चों को सिखा सकें।                                                                                                        db 

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