.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

*** Supreme Court Dismissed SLP of 719 Guest Teachers of Haryana *** यूजीसी नहीं सीबीएसई आयोजित कराएगी नेट *** नौकरी या दाखिला, सत्यापित प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं *** डीडी पावर के लिए हाईकोर्ट पहुंचे मिडिल हेडमास्टर *** बच्चों को फेल न करने की पॉलिसी सही नहीं : शिक्षा मंत्री ***

Sunday, 29 November 2015

फर्जी मोहर बनवा दुकानदार कर रहे है फार्म प्रमाणित

** खुलासा : बीए का पेपर स्कूल में देने पहुंची छात्रा तो खुला राज, सुढैल हाई स्कूल के प्रिंसिपल की लगी है मोहर, जबकि स्कूल में प्रिंसिपल का पद ही नहीं 
** हाई स्कूल में है एलीमेंट्री हेड मिडल का पद जो इस समय है खाली 
यमुनानगर : कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के फार्म भरने वाले दुकानदार फर्जी मोहर बनवाए बैठे हैं। फार्म पर इन मोहर का इस्तेमाल कर फार्म को प्रमाणित किया जा रहा है। इसका खुलासा शनिवार को उस समय हुआ जब एक छात्रा बीए का पेपर देने सुढैल हाई स्कूल में पहुंच गई। स्कूल में मौजूद छात्रा ने जब छात्रा का रोल नंबर देखा तो वह स्कूल के प्रिंसिपल से प्रमाणित था। सुढैल में हाई स्कूल है। हाई स्कूल में प्रिंसिपल का पद ही नहीं है। वहां पर एलीमेंट्री हेड मिडल का पद है। जोकि इन दिनों खाली है। स्कूल में एलीमेंट्री हेड मिडल की जिम्मेदारी स्कूल टीचर शिखा रक्षिता संभाल रही हैं। 
यह घटना दुकानदारों द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़े को बयां करती है। शिखा रक्षिता का कहना है कि उन्होंने इस बारे में विभाग को सूचना दे दी है। खंड शिक्षा अधिकारी की लिखित में सूचित किया गया है। 
ऐसे खुला राज : 
छात्रा मोनिका का बीए पांचवें सेमेस्टर का पेपर था। उसका सेंटर जगाधरी-1 था, जोकि जगाधरी का हिंदू गर्ल्स कॉलेज बनता है। लेकिन वह हिंदू गर्ल्स कॉलेज में जाने की बजाए सुढैल हाई स्कूल में पेपर देने पहुंच गई। क्योंकि उसका रोल नंबर कार्ड को सुढैल हाई स्कूल के प्रिंसिपल से प्रमाणित किया हुआ था। जैसे ही वह स्कूल में पहुंची और टीचर राकेश धीमान को रोल नंबर कार्ड दिखाया तो टीचर देखकर चौक गए। टीचर ने जब छात्रा से पूछा कि उसने यह प्रमाणित कहां से कराया है तो छात्रा ने बताया कि उसने मटका चौक पर स्थित किताबों की दुकान से फार्म भरवाया था। दुकानदार ने ही फार्म भरकर और प्रमाणित करा यूनिवर्सिटी में जमा कराया। 
हाई स्कूल में नहीं है प्रिंसिपल का पद 
हाईस्कूल में प्रिंसिपल का पद नहीं है। हाई स्कूल में एलीमेंट्री हेड मिडल का पद होता है। लेकिन सुढैल हाई स्कूल में यह पद खाली पड़ा है। प्रिंसिपल की मोहर और साइन से ही पूरा मामला खुल गया। मोहर बनवाने वाले ने इस ओर ध्यान नहीं दिया कि स्कूल में प्रिंसिपल का पद ही नहीं है। 
धोखाधड़ी का केस बनता है 
एडवोकेट वरयाम सिंह का कहना है कि दुकानदार अगर खुद ही मोहर बनवाकर फार्म प्रमाणित कर रहा है तो यह धोखाधड़ी है। दुकानदार पर धोखाधड़ी का केस बनता है। इसकी जांच यूनिवर्सिटी को भी अपने स्तर पर करनी चाहिए। ताकि यह पता चल सके कि सभी दुकानदार ऐसा कर रहे हैं या फिर एक दो। उनका कहना है कि मोहर बनाने वाला भी इस मामले में आरोपी होगा। क्योंकि उसने बिना जांच किए ही मोहर बना दी। 
50 रुपए तक लेते हैं प्रमाणित करने के नाम पर 
शहरमें हर कॉलेज के आसपास किताबों की दुकानें हैं। इनमें से अधिकतर दुकानदार कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के फार्म भरने का काम भी करते हैं। फार्म जमा तभी होते हैं जब वे प्रमाणित कराए गए हों। प्रमाणित किसी अधिकारी या स्कूल प्रिंसिपल से ही कराने होते हैं। दुकानदार छात्र से 30 से 50 रुपए प्रमाणित कराने के नाम पर लेते हैं। पैसे लेकर किसी अधिकारी या प्रिंसिपल से प्रमाणित कराने की बजाए दुकानदार खुद ही मोहर बनवाकर उसे प्रमाणित करने में लगे हैं। प्रमाणित करने से पहले यह भी जांच नहीं करते कि जो कागजात दिए जा रहे हैं वे सही भी है या नहीं।                                                              db 

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.