चंडीगढ़ : कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन, हड़ताल में शामिल होने और सामूहिक अवकाश लेने पर रोक लगाने के मामले में सरकार ने यू टर्न ले लिया है। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को सफाई दी कि प्रदेश में कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन करने पर कोई रोक नहीं है। वे सरकार के सामने अपनी बात रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने केवल कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश लेने पर रोक लगाई है।
सरकार ने यह यू टर्न ऐसे टाइम पर लिया है जब सर्व कर्मचारी संघ की ओर से सीएम सिटी करनाल में अपनी मांगों को लेकर चेतावनी रैली करने जा रहा है। इससे पहले हड़ताल, धरना, प्रदर्शन और सामूहिक अवकाश पर रोक लगाने संबंधी सरकारी आदेश की चौतरफा निंदा हुई है। इनेलो, कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष ने इस मुद्दे पर कर्मचारी संगठनों का पूरी तरह साथ देने का वायदा किया हुआ है।
फिर इस आदेश का मतलब क्या:
चीफ सेक्रेटरी की ओर से 21 नवंबर को जारी आदेश में कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश लेने पर रोक लगाई गई थी। हड़ताल में शामिल होने को आचरण नियमों का उल्लंघन बताकर कार्यवाही करने की भी चेतावनी दी गई थी। विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए गए कि अगर उनके अधीन कोई कर्मचारी धरना, प्रदर्शन या हड़ताल में शामिल हो तो उनके नाम, पदनाम समेत रिपोर्ट शाम 4 बजे तक जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (जीएडी) को भेजी जाए।
कर्मचारी मुद्दे पर सफाई क्यों
चुनाव घोषणा पत्र में वायदा करने के एक साल बाद भी पंजाब के बराबर वेतनमान, कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने, छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने से पैदा हुई विसंगतियों को लेकर कर्मचारी वर्ग में पहले ही काफी नाराजगी है। पार्टी हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश प्रभारी कार्यकर्ताओं का फीडबैक जुटाने प्रदेश के दौरे पर निकले हुए हैं। कार्यकर्ताओं के माध्यम से सरकार के खिलाफ नेगेटिव फीडबैक जाए और कर्मचारी संगठन सड़कों पर आएं। इसलिए सरकार ने यह सफाई दी है।
करनाल में रैली आज
सर्वकर्मचारी संघ मांगों को लेकर बुधवार को करनाल में रैली करेगा। जबकि हरियाणा कर्मचारी महासंघ ने अम्बाला में विरोध प्रदर्शन का पहले ही ऐलान किया हुआ है। सर्व कर्मचारी संघ के प्रधान धर्मवीर फौगाट और महासचिव सुभाष लांबा ने बताया कि रैली को विफल करने के उद्देश्य से ही सरकार ने 21 नवंबर को धरना, प्रदर्शन, हड़ताल और सामूहिक अवकाश लेने पर रोक लगाई थी। रैली में सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया जाएगा। db
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