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Sunday, 8 November 2015

प्रदेश में अस्थिर शिक्षा नीति

शिक्षा को रोजगारोन्मुखी व प्रतिस्पर्धात्मक रूप देने के लिए हरियाणा सरकार ने गंभीर कवायद आरंभ की है। वरिष्ठ अधिकारियों और शिक्षाविदों से सुझाव लेते हुए शिक्षा तंत्र को प्रगतिशील बनाने का संकल्प व्यक्त किया है। लंबे अर्से से अपेक्षा की जा रही थी कि शिक्षा को संतोषजनक स्तर तक पहुंचाने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए जाने चाहिए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब नए प्रयासों के साथ सरकार को उन चुनौतियों के प्रति भी गंभीर होना पड़ेगा जो बार-बार अवरोध बनकर शिक्षा के विकास-विस्तार को रोक रही हैं। विडंबना देखिए कि एक तरफ राज्य स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक बुलाकर उम्मीद जगाने की कोशिश की जाती है तो उसी दौरान यह बात भी सामने आती है कि विद्यार्थियों की संख्या कम होने के कारण 350 स्कूलों को बंद करने की तैयारी चल रही है। बैठक में यह फैसला भी सुनाया जाता है कि पांचवीं और आठवीं कक्षाओं में फिर से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू होंगी। यानी एक तरह से सरकार ने मान लिया है कि शिक्षा का अधिकार कानून व अन्य कारणों से सरकारी स्कूलों में शिक्षा स्तर संतोषजनक नहीं है, 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम सभी के लिए चिंता का कारण बन चुके हैं। स्कूलों में दाखिले से लेकर अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया को तर्कसंगत बनाए जाने की जरूरत है। यह तो मानना ही पड़ेगा कि अध्यापकों के रिक्त पद स्थायी तौर भरने का दायित्व निभाने में पूर्ववर्ती सरकारें बिलकुल विफल रही हैं। वर्तमान सरकार ने इस दिशा में ठोस प्रयास तो किए हैं लेकिन व्यावहारिक और तार्किक पहलुओं पर परिपक्वता का अभाव नजर आ रहा है। शिक्षकों से संबंधित हाल के कुछ अदालती फैसलों से यह बात साबित हो रही है कि स्थायी नीति व निर्णय के बजाय तदर्थवाद हावी रहा। प्रदेश में शिक्षा ढांचे में आधारभूत बदलाव की नितांत आवश्यकता है। केवल सलाह व सुझाव मांगने अथवा देने से समस्या का समाधान संभव नहीं। आवश्यकता गहन अनुसंधान और नीतियों को तर्कसंगत और प्रगतिशील बनाने की है। 350 स्कूल बंद करने की नौबत क्यों आई? स्थिति को भांप कर कमजोर कड़ियों की पहचान करने और समस्या समाधान की ईमानदार कोशिश पहले क्यों नहीं की गई? स्कूल बंद होना शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर करारा कटाक्ष है। परीक्षाएं शिक्षा बोर्ड के सुपुर्द करना, फिर हटा लेना और अंतत: फिर बोर्ड की शरण में जाना, क्या यह प्रयोगवाद शिक्षा क्षेत्र का उद्धार करने में सफल होगा? सरकार अपनी कमियां पहचाने और उन्हें दूर करे।                                                                          dj edtrl

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