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Tuesday, 2 August 2016

नौवीं फेल भी करेंगे 10वीं की पढ़ाई

** नौवीं में दो या इससे अधिक बार फेल हुए हैं को मार्च 2017 में दसवीं करने का अवसर मिलेगा
** स्कूलों में असफलता के चलते ड्रॉप आउट की संभावनाओं को खत्म करने के उद्देश्य से उठाया है यह कदम 
** दो भाषाओं व सोशल साइंस के साथ गणित, विज्ञान व होम साइंस में से किन्हीं दो विषयों का चयन करने की सुविधा
नई दिल्ली : नौवीं में फेल विद्यार्थी अब सीधे दसवीं की पढ़ाई कर सकेंगे। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की ओर से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे ऐसे विद्यार्थी जोकि नौवीं में दो या इससे अधिक बार फेल हुए हैं को मार्च 2017 में दसवीं करने का अवसर मिलेगा। निदेशालय ने यह कदम स्कूलों में असफलता के चलते ड्रॉप आउट की संभावनाओं को खत्म करने के उद्देश्य से उठाया है। विभाग का मानना है कि इससे सीधे 56077 विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि जो बच्चे स्कूल आधारित नौवीं की ही परीक्षा में सफल नहीं हो पा रहे हैं वह केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में कैसे सफल होंगे।
शिक्षा निदेशालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चुनौती-2018 के अंतर्गत विद्यार्थियों के तीन समूह बनाए जा रहे हैं। कक्षा 9 में दो या इससे अधिक बार फेल हो चुके विद्यार्थियों को विश्वास समूह में रखा गया है। इस समूह के अंतर्गत आने वाले विद्यार्थियों को पत्रचार स्कीम में बदलाव करते हुए शिक्षा निदेशालय की ओर से सीधे दसवीं में पंजीकृत करने की घोषणा की गई है। इस पर विद्यार्थियों व अभिभावकों से 30 जुलाई को पैरेंट्स टीचर्स मीटिंग (पीटीएम) में सहमति भी ली गई। यानी अब विद्यार्थी नौवीं में लगातार असफल होने के बावजूद मार्च 2017 में होने वाली केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) दसवीं की परीक्षा में बैठ सकते हैं। निदेशालय के एक आलाधिकारी ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य विद्यार्थियों में निराशा के भाव को कम करते हुए शिक्षकों की मदद से उन्हें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना है। वे आम पत्रचार के विद्यार्थी की तरह घर बैठकर पढ़ाई नहीं करेंगे। विश्वास समूह के ऐसे सभी विद्यार्थियों को स्कूल में अध्ययन, वहां मिलने वाली किताब, वर्दी और विद्यालय की अन्य गतिविधियों में ठीक उसी तरह शामिल होने का अवसर मिलेगा जिस तरह अन्य विद्यार्थियों को मिलता है।
मुश्किल विषय छोड़ने का विकल्प : 
इस योजना के अंतर्गत दो भाषाओं व सोशल साइंस के साथ गणित, विज्ञान व होम साइंस में से किन्हीं दो विषयों का चयन करने की सुविधा दी जा रही है। यानी बच्चे यदि गणित या विज्ञान में कमजोर हैं तो वे उन्हें छोड़कर दसवीं की परीक्षा दे सकते हैं। भाषा के स्तर पर हंिदूी, अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी व संस्कृत का विकल्प उपलब्ध है। इनमें से किन्हीं दो का चुनाव दसवीं की परीक्षा के लिए कर सकते हैं।
समस्या को बढ़ाने की कोशिश : अग्रवाल : 
शिक्षा निदेशालय की इस योजना को ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने समस्या को बढ़ाने वाला बताया। अशोक अग्रवाल कहते हैं कि जो बच्चा लगातार दो या दो से ज्यादा बार नौवीं में फेल हो सकता है, उसे ऐसा कौन सा ज्ञान दिया जाएगा कि वह दसवीं पास कर लेगा। शिक्षा निदेशालय एक बार फिर समस्या के समाधान के बजाय ऐसी कोशिश में जुटा है जोकि परवान चढ़ाना नामुमकिन है। इससे बेहतर तो यह था कि नौवीं के ऐसे विद्यार्थियों को तीन चार माह की तैयारी के बाद एक परीक्षा आयोजित कर दसवीं में भेजा जाता। यानी जो बच्चे इस परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते उन्हें दसवीं में दाखिला दिया जाता।                                                                        dj

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