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Sunday, 7 August 2016

स्कूल मॉडल और शिक्षा ‘भगवान भरोसे’

नरवाना : स्कूल में तीन महीने से प्रिंसिपल नहीं। साथ ही भौतिकी विज्ञान, अर्थशास्त्र, एसएस व गणित के अध्यापकों के पद भी खाली। न डीपीई, न ही पीटीआइ। प्राथमिक शाखा में 3 जेबीटी अध्यापिकाएं लंबी छुट्टी पर चल रही है। शिक्षा विभाग ने उनकी जगह कोई अस्थायी व्यवस्था भी नहीं की है। किसी तरह कार्यवाहक प्रिंसिपल से काम चल रहा है। 
प्राइमरी कक्षाओं की किताबें भी अब तक नहीं आई हैं। ये हाल है बेलरखा गांव के संस्कृति मॉडल स्कूल का। विभाग सबकुछ जानकर भी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है।कार्यवाहक प्रिंसिपल आशानंद ने बताया कि स्कूल में करीब नौ महीने से स्वीपर कम चौकीदार भी लापता है। जिस कारण यहां सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है। हर तरफ गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। चपरासी भी आधा महीना से गैरहाजिर ही रहता है। 
घटती जा रही विद्यार्थियों की संख्या
स्कूल में दिन-प्रतिदिन विद्यार्थियों की संख्या घटती जा रही है। फरवरी 2016 में बच्चों की संख्या जहां 673 थी, वहीं जुलाई के आखिरी सप्ताह में यह 609 रह गई है। सरकार की योजना के अनुसार अंग्रेजी माध्यम के ये संस्कृति मॉडल स्कूल विशेष तौर पर खोले गए थे, लेकिन शुरू से ही यहां अव्यवस्था का आलम है।
जनरेटर भी खराब
नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक पहली से पांचवीं तक की किताबें अभी तक नहीं आई हैं। स्कूल में कहने को तो दो जनरेटर हैं, लेकिन दोनों ही खराब पड़े हैं। इनमें तेल डलवाने के लिए सरकार या विभाग की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है। 
भवन भी जर्जर हालत में
गांव की सरपंच शीला देवी व उनके ससुर पूर्व सरपंच साधुराम ने बताया कि सीएमसी के सदस्य रमेश कुमार, बलवान, ईश्वर, पालेराम, राजा आदि गत 12 अप्रैल को अध्यापकों की कमी को लेकर पंचकूला में शिक्षा निदेशक से मिले थे। उन्होंने शीघ्र ही अध्यापक भेजने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। इसके अलावा स्कूल की आधी इमारत लगभग 3-4 सालों से जर्जर अवस्था में होने के कारण असुरक्षित घोषित की जा चुकी है। फिर भी इस भवन में मिड-डे मील तैयार किया जाता है, जो कभी भी जानलेवा साबित हो सकता है।
राजकीय संस्कृति मॉडल स्कूल के कार्यवाहक प्राचार्य आशानंद ने बताया कि विभाग को इन सब समस्याओं की जानकारी दे चुके हैं। ये सही है कि स्कूल में बच्चों की संख्या घट रही है। जब यहां कोई सुविधा ही नहीं है तो अभिभावक बच्चों को यहां पढ़ने क्यों भेजेंगे                                                         dj 

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