फतेहाबाद : जिले का ऐसा कोई सरकारी स्कूल नहीं जिसमें अध्यापकों की कमी
नहीं है। अध्यापकों की कमी के चलते विद्यार्थियों का भविष्य खराब हो रहा
है। उनके साथ अभिभावक भी परेशान हैं। शिक्षकों के अभाव में शिक्षा व्यवस्था
चौपट हो रही है, लेकिन सरकार व सरकारी तंत्र संवेदनहीन है।
जिले में 60
प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन उन्हें
पढ़ाने के लिए अध्यापक नहीं हैं। इसी कमी को दूर करने के लिए कई सरपंच आगे
आए हैं। वे अपने गांव के स्कूल में अध्यापक रखना चाहते हैं। इसके लिए
उन्होंने पंचायत की तरफ से प्रस्ताव भेज कर अस्थाई अध्यापक रखने की मांग की
है। लेकिन पंचायती राज अधिकारी उन्हें मंजूरी नहीं दे रहे हैं। कई
पंचायतों को प्रस्ताव भेजे हुए दो सप्ताह से अधिक हो गया है।
लेकिन
प्रस्ताव को न तो रिजेक्ट किया जा रहा है न ही मंजूरी दी जा रही है। ऐसा
नहीं है कि कहीं भी पंचायत ने अस्थाई तौर पर अध्यापकों की नियुक्ति नहीं की
है। निकटवर्ती सिरसा जिले में तो कई पंचायतों ने अस्थाई तौर पर अध्यापकों
की नियुक्ति की हुई है। वह भी लंबे समय से। विडंबना तो यह कि जो पंचायती
अधिकारी अब अध्यापक रखने के लिए मंजूरी नहीं दे रहे उन्होंने पिछले प्लान
में बेमतलब आरसीसी बैंच खरीदने की अनुमति देते हुए बिल भी पास करवा दिया
था। इससे जिले को करोड़ों रुपयों का नुकसान
भी हुआ।
अध्यापकों की कमी से खराब आ रहा है परीक्षा परिणाम
सरकारी स्कूलों में
अध्यापकों की कमी सर्वविदित है। गांव काजल हेड़ी के राजकीय उच्च विद्यालय
में पिछले सत्र में गणित का अध्यापक न होने के कारण स्कूल का रिजल्ट 35
प्रतिशत रहा। जबकि अन्य विषयों में विद्यार्थी पास थे। गांव बड़ोपल के
राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में तो 240 छात्रओं पर सिर्फ दो अध्यापक हैं।
मुख्य विषय गणित, अंग्रेजी, विज्ञान के अध्यापक ही नहीं हैं। इस कारण पिछले
तीन साल से आधे से ज्यादा विद्यार्थी फेल होकर पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो
रहे हैं। वहीं भिरड़ाना में तो राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में एक
हजार से अधिक विद्यार्थी हैं। लेकिन जरूरी स्टाफ नहीं है।
पंचायत के नाम भेजे प्रस्ताव
सिरसा जिले के डबवाली ब्लाक के कालुआना
गांव के पूर्व सरपंच जगदेव सहारण का कहना है कि यदि पंचायत अस्थाई तौर पर
स्कूल में अध्यापक रखना चाहती है तो वे बीडीपीओ के नाम का प्रस्ताव हरगिज न
भेजे। पंचायत ब्लाक समिति के नाम का प्रस्ताव भेजे। ब्लाक समिति को हर हाल
में ग्राम सभा के प्रस्ताव को मंजूरी देनी ही होगी। इसके लिए भेजे गए
प्रस्ताव में यह जरूर लिखे कि जब तक शिक्षा विभाग स्थाई अध्यापकों की
नियुक्ति नहीं करती तब तक उनकी पंचायत को स्कूल में शिक्षा व्यवस्था बनाने
के लिए अस्थाई अध्यापक नियुक्त करने की मंजूरी दी जाए।
"अध्यापकों की नियुक्ति करना शिक्षा विभाग का काम हैं। यदि पंचायती राज
विभाग अध्यापकों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव मंजूर करने लगा तो सिस्टम
खराब हो जाएगा। मैंने जिन गांवों में पंचायतों की नियुक्ति के लिए कहा था,
वे पंचायत खुद कर सकती है, इसके लिए पंच व सरपंच रूपये एकत्रित कर अध्यापक
रख सकते हैं। यदि पंचायत अध्यापक रखने के लिए वेतन देने लगे तो दूसरे काम
कहां से करवाएंगी।"-- राजेश खोथ, जिला एवं पंचायत विकास अधिकारी। dj
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