करनाल : हरियाणा राजकीय हिंदी अध्यापक संघ द्वारा प्रदेश में हिंदी को बचाने के लिए शुरू किये गये आंदोलन के प्रथम चरण में आज उत्तर हरियाणा से प्रधानमंत्री को पोस्ट कार्ड भेजे गये। संघ के जिला प्रधान मलखान सिंह, वरिष्ठ नेता मदन लाल पाल, सरला वर्मा और रोशन राणा ने बताया कि राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को हिंदी भाषा के पद स्वीकृत करने की मांग को लेकर पोस्टकार्ड भेजे गये हैं। उन्होंने कहा कि आज करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र व यमुनानगर के हिंदी शिक्षक और शिक्षिकाओं ने पोस्टकार्ड लिखा, जिसमें स्पष्ट रूप से मांग की गई कि हिंदी भाषा भाषी प्रदेश हरियाणा में तमाम मिडल स्कूलों में हिंदी भाषा के शिक्षक का पद स्वीकृत किया जाए व रेशनेलाइजेशन को आधार को बदल कर प्रदेश के तमाम हाई व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में हिंदी भाषा का पद प्रथम पद माना जाए और इसी तरह हिंदी प्राध्यापक का पद भी माना जाए।
कैथल : भाजपा सरकार ने सभी भाषाओं की जननी संस्कृत को महत्व देकर उसे जिंदा कर दिया लेकिन भाजपा की ही सरकार में मातृभाषा हिंदी दम तोड़ती नजर आ रही है। अनिवार्य विषय के रूप में पढ़े जाने वाली हिंदी के विद्यार्थियों व हिंदी के टीचरों में इस बात को लेकर रोष है कि प्रदेश के करीब 2250 स्कूलों में हिंदी विषय के टीचर नहीं है। पूरे प्रदेश में 2411 मिडल स्कूल में है। जिसमें करीब 150 स्कूलों को छोड़कर बाकी में हिंदी टीचर नहीं है। करीब 2250 स्कूलों में हिंदी पढ़ाने के लिए गुरु जी नहीं है।
अभिभावकों का मिला समर्थन
इन्द्री : हिन्दी भाषा का सम्मान बचाने और छूट गए वरिष्ठ अध्यापकों की पीजीटी हिंदी पदोन्नति सूची शीघ्र जारी करने सहित अन्य मांगों को लेकर हरियाणा राजकीय हिन्दी अध्यापक संघ-69 की अगुवाई में हिन्दी अध्यापकों ने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखे। अध्यापकों की मांगों का अभिभावकों व विद्यार्थियों ने भी समर्थन किया और पत्र लिखे। संघ के प्रदेशाध्यक्ष कृष्ण कुमार निर्माण ने 7 अगस्त को झज्जर, भिवानी, अंबाला और रोहतक तथा 9 अगस्त को पंचकूला, फरीदाबाद, मेवात, पानीपत, सोनीपत, पलवल, महेन्द्रगढ़ और गुड़गांव जिलों के अध्यापक पत्र लिखेंगे। dt
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