नारनौल : शिक्षा सत्र 2016-17 की कक्षा 9वीं और
11वीं की वार्षिक परीक्षाओं की उत्तर-पुस्तिकाओं को अब हरियाणा विद्यालय
शिक्षा बोर्ड दोबारा जांचेगा। स्कूल स्तर पर इन उत्तर-पुस्तिकाओं के
जांचने के नाम पर हुई खानापूर्ति की आशंका के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया
है। जांच के दौरान गड़बड़ी पाई गई तो संबंधित शिक्षक के खिलाफ विभागीय
कार्रवाई की जाएगी। हालांकि शिक्षा विभाग का कहना है कि ऐसा बच्चे की
योग्यता परखने के लिए किया जा रहा है, ताकि उस कमजोरी को दूर किया जा सके।
बता दें कि शिक्षा सत्र 2016-17 में कक्षा 9वीं 11वीं की हुई वार्षिक
परीक्षाओं में भिवानी बोर्ड से तैयार किए गए प्रश्न-पत्र आए थे। सरकार का
बोर्ड से प्रश्न-पत्र तैयार कराने का मुख्य उद्देश्य बच्चों की योग्यता को
जांचना था।
इस दौरान नियमानुसार 33 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले बच्चों
को फेल करने के भी निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन वार्षिक परीक्षाएं उसी
स्कूल के शिक्षकों ने ली थी, इसलिए सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले
शिक्षकों ने अपनी कमजोरी छुपाने को वार्षिक परीक्षाओं में किसी भी बच्चे को
फेल नहीं किया। ऐसे में सरकार को संदेह है कि अधिकतर शिक्षकों ने
उत्तर-पुस्तिकाओं को जांचने के नाम पर खानापूर्ति की है।
दोबारा जांच करना सरकार की स्किल पासबुक का एक हिस्सा
"कक्षा 9वीं
11वीं की उत्तर-पुस्तिकाओं की दोबारा जांच करना सरकार की स्किल पासबुक का
एक हिस्सा है। स्किल पास बुक में 18 प्वाइंट बनाए गए हैं। इनमें से कुछ
प्वाइंट पिछले शिक्षा सत्र में पढ़ाने वाला अध्यापक अपनी परफॉर्मेंस के
आधार पर भरेगा। इसके बाद अगली कक्षा में दाखिला देने के बाद उसे पढ़ाने
वाला अध्यापक बच्चे की स्किल बुक में दर्शाई योग्यता को जांचेगा। योग्यता
में खरा उतरने पर बच्चे की उस कमजोरी को दूर करने पर विशेष जोर दिया जाएगा।"-- मुकेश लावनिया, डीईओ, नारनौल।
बच्चे फेल किए गए तो बाधित होगी उनकी पढ़ाई
ज्ञातरहे
कि सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा 9वीं 11वीं की वार्षिक परीक्षाएं
मार्च महीने में स्कूल स्तर पर ही आयोजित की गई थीं। 31 मार्च तक इन
कक्षाओं का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया था। 9वीं के बच्चों ने 10वीं
कक्षा 11वीं के बच्चों ने 12वीं कक्षा में दाखिला भी ले चुके हैं। ऐसे में
अब उनकी उत्तर-पुस्तिकाओं की दोबारा जांच की जाती है और शिक्षक की लापरवाही
पाती है तो शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई होना तो ठीक है, लेकिन अगली कक्षा
में प्रवेश ले चुके बच्चों के फेल होने पर उनकी शिक्षा बाधित होगी।
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