अम्बाला सिटी : शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूली बच्चों का लर्निंग लेवल बढ़ाने के लिए हर तरीके अपनाए। इसके बाद भी विभाग सफल नहीं हो पाया। जब बच्चों का सर्वे हुआ तो रिजल्ट चौकाने वाले सामने आए। क्योंकि शिक्षा विभाग हर प्रकार की जुगत भिड़ाने के बाद भी सफल नहीं हो पाया। इसलिए अब यूएसए के विश्वविख्यात बोस्टन कंसलटेंसी ग्रुप को बच्चों में लर्निंग लेवल बढ़ाने की कमान सौंपी है। यह प्रोजेक्ट तीन से पांच साल तक चलेगा। इस प्रोजेक्ट को नए शिक्षा सत्र से लागू कर दिया जाएगा।
शिक्षा विभाग ने बच्चों में लर्निंग लेवल बढ़ाने के लिए एजुसेट सिस्टम से शिक्षा देने तथा आरोही स्कूलों के माध्यम से बच्चों का लर्निंग लेवल बढ़ाना चाहा, लेकिन उसमें सफलता हाथ नहीं लगी। इसलिए यूएसए ग्रुप के साथ मिलकर अब हरियाणा स्कूल एजुकेशन ट्रांसफॉर्मेशनल प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। ताकि सरकारी स्कूलों के बच्चे जिस कक्षा में पढ़ रहे हैं उन्हें उस कक्षा के विषयों का ज्ञान पूरी तरह से हो। प्रोजेक्ट में बच्चों का लर्निंग लेवल तो बढ़ाया जाएगा। साथ ही स्कूलों के पीओन से लेकर डिप्टी डायरेक्टर तक को ट्रेनिंग दी जाएगी।
सर्वे में यह पाया गया था:
पहली से नौवीं कक्षा तक के बच्चों में लर्निंग लेवल ठीक नहीं पाया गया। अधिकांश बच्चे ऐसे थे जो नौवीं में तो पहुंच गए, लेकिन उनके विषय का ज्ञान पांचवीं कक्षा तक का था। क्योंकि अब किसी भी बच्चे को आठवीं तक फेल नहीं किया जा सकता। इसके अलावा बच्चों में भाषा व गणित का ज्ञान कम पाया गया। इसलिए अब शिक्षा विभाग पूरी तरह से बदलाव की तैयारी में जुट गया है।
आकर्षक होंगे अब क्लास रूम :
नए सत्र से क्लास रूम को आकर्षक बनाने की तैयारी की जा रही है। ताकि बच्चे जब स्कूल में आएं तो उन्हें कक्षा में बैठना अच्छा लगे। बच्चों में पढऩे के प्रति रूचि पैदा हो। पढऩे में मन लगे। उन्हें देर तक अपने विषय का ज्ञान रहे। इसके लिए बच्चों को प्रोजेक्ट दिखाकर तथा शिक्षण सहायता सामग्री का प्रयोग किया जाएगा।
स्कूलों को होगा लाभ
जिले के 799 स्कूलों को प्रोजेक्ट के दायरे में लाया जाएगा। इस समय जिले में 542 प्राइमरी स्कूल, 138 मिडिल स्कूल हैं। जबकि अन्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं। नए प्रोजेक्ट से सबसे ज्यादा फायदा प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के बच्चों को होगा। इनका लर्निंग लेवल बनाने पर पूरा ध्यान दिया जाएगा।
ऐसे काम करेगा ग्रुप
ग्रुप पहले स्तर पर लर्निंग लेवल को बढ़ाने के तरीके खोजेगी। इसके बाद पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाएगा। अध्यापकों को बीएड और सर्विस के बाद बच्चों को अच्छे तरीके से पढ़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। स्कूल मुखिया को भी ट्रेनिंग देकर उनमें बदलाव लाया जाएगा। ताकि वह बच्चों के साथ शिक्षाविद् की तरह बर्ताव करें। मुखिया में मार्ग दर्शन और प्रेरणा के गुर आ सकें। अध्यापकों की रिक्तियों पर काम किया जाएगा।ताकि उनकी कमी से बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। स्कूलों में फंड सही तरीके से आए इस पर भी ग्रुप की टीम काम करेगी।बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए कम बच्चों वाले दो स्कूलों को मर्ज किया जाएगा। अध्यापकों में वर्क कल्चरल पैदा की जाएगी।ताकि उनके मन में बच्चों के प्रति अच्छे भाव पैदा हों
"शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त की सोच से इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जा रहा है। अगर यह प्रोजेक्ट स्टीक तरीके से लागू हो गया तो बच्चों में शिक्षा के प्रति जागरुकता बढ़ेगी।"--सुधीर कालड़ा, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, अम्बाला। db
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