नई दिल्ली : पटियाला हाउस कोर्ट की एक महिला महानगर दंडाधिकारी एमआर शमशेद ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के द्वारा पीएचडी करने के उस नियम को चुनौती दी है, जिसमें तय किया गया है कि अगर कोई पीएचडी करना चाहता है तो उसे नौकरी से दो साल का अवकाश लेना होगा। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ ने महिला दंडाधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए डीयू से पूछा है कि क्या एकेडमिक काउंसिल या डीन दंडाधिकारी को इस मामले में छूट देने के संबंध में निर्णय ले सकते हैं? साथ ही हाईकोर्ट ने दंडाधिकारी को निर्देश दिया है कि वह याचिका का निपटारा होने तक अपनी पढ़ाई जारी रखें। 1दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में महानगर दंडाधिकारी ने कहा है कि पीएचडी एक नियमित कोर्स है परंतु यह रिसर्च पर आधारित है। ऐसे में एक दंडाधिकारी पर इस तरह की शर्त लगाना गलत है। दंडाधिकारी का कहना है कि उसने पीएचडी के लिए जो विषय चुना है, वह दिन-प्रतिदिन अदालत में होने वाली कार्रवाई से संबंधित है। ऐसे में वह बतौर दंडाधिकारी काम करते हुए अनुभव हासिल कर रही है।
दंडाधिकारी ने कहा कि डीयू व यूजीसी की शर्त है कि उसे पीएचडी करने के लिए दो साल की छुट्टी लेनी होगी। यह नियम अवैध है। लिहाजा, दोनों को मामले के संबंध में उचित निर्देश जारी किए जाएं, ताकि वह अपनी पढ़ाई कर सके। dj
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