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Friday, 10 January 2014

जेबीटी शिक्षक भर्ती : कसूरवार कौन

लगभग तीन हजार जेबीटी शिक्षकों की नियुक्ति रद होना सरकार व शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली और भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्नचिह्न है। आशंका तभी से व्यक्त की जा रही थी जब सन दो हजार में हुई इन नियुक्तियों को नियम व आचरण विरुद्ध मान कर हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला व अन्य को सजा सुनाई थी। ऐसा भी माना जा रहा था कि वर्तमान सरकार प्रबंध क्षमता और जवाबदेही का परिचय देते हुए शिक्षकों व उनके परिजनों के वर्तमान-भविष्य को अंधकारमय होने से बचाने के लिए वैकल्पिक उपाय करेगी मगर अंतत: वही हुआ जिसका डर था। सरकार का तात्कालिक दायित्व बर्खास्तगी के शिकार सभी शिक्षकों को सुरक्षित भविष्य का भरोसा दिलाने और कानूनी तौर पर उनके पक्ष को मजबूती से अगली अदालत में पेश करने का है। यह समय दलगत और व्यवस्थागत भावना से ऊपर उठ कर मानवीय आधार को सवरेपरि रखने का है। यह सबक भी लेना होगा कि भर्ती प्रक्रिया को अपनी सुविधा के अनुसार मोड़ना सर्वथा घातक है। किसी खास को खुश करने के लिए प्रतिभावान को दरकिनार करने से दीर्घकाल में किसी का भला नहीं होने वाला। हाई कोर्ट की यह टिप्पणी वास्तव में गंभीर संकेत दे रही है कि मेरिट को इन नियुक्तियों का आधार नहीं बनाया गया, जारी की गई सूची सही नहीं थी और मेरिट वाले उम्मीदवारों को नजर अंदाज कर दिया गया। सवाल यह है कि अनिश्चित-असुरक्षित जेबीटी अध्यापकों के पास धरने, प्रदर्शन और रास्ता जाम के अलावा कौन सा विकल्प बचा है? वास्तविक कसूरवार कौन है? शासन-प्रशासन की खामियों का खमियाजा दूसरे कब तक और क्यों भुगतें? सरकारी तंत्र की मनमानी पर अंकुश कौन लगाए? शिक्षकों की हजारों नौकरियां अब भी विज्ञापित हैं, उनमें भर्ती के बाद जेबीटी शिक्षकों जैसी स्थिति न बने, यह सुनिश्चित कौन करेगा? राज्य में फिलहाल जरूरत है स्थायी, पारदर्शी, तार्किक और व्यावहारिक भर्ती नीति की। अकेले शिक्षा विभाग में गेस्ट टीचरों के साथ जेबीटी और प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती पर अब तक चार बार अदालती फैसले की तलवार लटक चुकी, दुर्भाग्य यह रहा कि पुरानी गलतियों से सबक लेने की कोशिश नहीं की गई। शिक्षक पदोन्नति नीति के खिलाफ अनेक मामले अदालतों में चल रहे हैं। हाई कोर्ट के नए आदेश से स्वाभाविक तौर पर अन्य शिक्षक व सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल जेबीटी अध्यापकों के पक्ष में आंदोलन के लिए आ डटेंगे। सरकार को पुरानी गलतियों से सबक लेकर भविष्य का मार्ग निष्कंटक बनाने पर ध्यान देना चाहिए।                                dj

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