हिसार : प्रदेश भर के दस हजार प्राइवेट स्कूल संचालकों ने गरीब छात्रों को धारा 134ए के तहत निश्शुल्क शिक्षा उपलब्ध नहीं कराने का फैसला लिया है। उन्होंने धारा 134ए का रिकॉर्ड ऑनलाइन करने का बहिष्कार भी कर दिया है। स्कूल संचालकों की मानें तो सरकार ने उन पर भारी भरकम प्रॉपर्टी टैक्स थोंप दिया है, जो उन्हें नामंजूर है। इसलिए प्रॉपर्टी टैक्स भी नहीं भरेंगे।
हाल ही में प्राइवेट स्कूल संघ की बैठक हुई थी, जिसमें सैकड़ों स्कूल संचालकों ने हिस्सा लिया। बैठक में स्कूल संचालकों के समक्ष आ रही परेशानियों व दोहरी शिक्षा नीतियों पर विचार-विमर्श किया गया था। रणनीति बनाकर अब स्कूल संचालकों ने मांगों के समाधान को लेकर आर-पार की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है। इस कड़ी में 25 जनवरी को रोहतक में महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्रदेश के दस हजार प्राइवेट स्कूलों के संचालक व 20 हजार से अधिक शिक्षक भाग लेंगे। अगर सरकार ने मांगों को पूरा नहीं किया तो संघ आगामी रणनीति तैयार बड़ा आंदोलन छेड़ सकता है।
50 सदस्यीय कमेटी गठित
संघ के मीडिया प्रभारी रमेश रोहिल्ला ने बताया कि इस आंदोलन को स्कूलों की आवाज बनाने के लिए प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू के नेतृत्व में 50 सदस्यीय कोर कमेटी ने प्रदेश, जिला, ब्लॉक व गांव के स्तर पर संपर्क अभियान शुरू कर कर दिया है।
आर-पार की लड़ाई को तैयार
हरियाण प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने बताया शिक्षा विभाग व सरकार की दोहरी नीतियों का खमियाजा स्कूल संचालकों को भुगतना पड़ रहा है। इसलिए उन्हें आर-पार की लड़ाई लड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है। केंद्र ही नहीं हरियाणा सरकार को समस्या के समाधान के लिए मजबूर करेंगे।
ये हैं मांगें
- गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को मान्यता देना।
- अस्थायी व परमिशन प्राप्त स्कूलों को स्थाई मान्यता देना।
- धारा 134 ए के तहत गरीब बच्चों का खर्च सरकार वहन करें।
- विद्यालय भवन के लिए किराएनामे की सीमा को बीस वर्ष से घटाकर दस वर्ष किया जाए।
- स्कूलों पर थोपे गए सभी काले कानूनों को तुरन्त प्रभाव से निरस्त किया जाए।
- स्कूलों का प्रॉपर्टी टैक्स माफ करें।
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