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Friday, 3 January 2014

शिक्षा विभाग ही कर रहा पंजाबी भाषा की अनदेखी


सीवन : सरकार ने पंजाबी भाषा को दूसरी भाषा का दर्जा तो दे दिया था, लेकिन अभी भी स्कूलों में पंजाबी अध्यापक न के बराबर हैं। स्कूलों में पंजाबी भाषा के अध्यापक ना होने के कारण पंजाबी पढ़ने की इच्छा रखने वाले बच्चों को भी दूसरे ऐच्छिक विषय मजबूरी में लेने पड़ते हैं। 
कई बार स्कूलों ने भी अपनी तरफ से यह लिख कर दिया है कि स्कूलों में पंजाबी विषय के पद रिक्त हैं, लेकिन अभी तक ना तो कोई अध्यापक ही स्कूलों में पहुंचे हैं और ना ही प्राध्यापक। इस बारे में क्षेत्र के लोगों के विचार इस प्रकार से थे -
पंजाबी भाषा को मिले दर्जा
शरणजीत सिंह ने कहा कि इनेलो सरकार ने पंजाबी भाषा को दूसरे भाषा बनाने की घोषणा की थी, लेकिन वह घोषणा बन कर रह गई। सरकार इससे पहले की नोटिफिकेशन जारी करती उससे पहले ही इनेलो की सरकार चली गई। 
शिरोमणी अकाली दल (बादल) ने बार बार नोटिफिकेशन जारी करने की बात उठाई तो कांग्रेस ने नोटिफिकेशन तो जारी कर दिया, लेकिन आधा अधूरा। इस वजह से अभी तक पंजाबी भाषा को पूरी तरह से दूसरी भाषा का दर्जा नहीं मिला। 
बच्चे पढ़ सकें मर्जी के विषय
जरनैल सिंह ने कहा कि बहुत से स्कूल ऐसे हैं जिनमें काफी समय से पंजाबी विषय के अध्यापक ही नहीं हैं। सरकार के नोटिफिकेशन के बाद एक बार उम्मीद जगी थी कि अब स्कूलों में पंजाबी भाषा के अध्यापक आएंगे। लेकिन, लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी अभी तक किसी भी स्कूल में पंजाबी भाषा के अध्यापक व प्राध्यापक नहीं आए हैं। पंजाब के साथ लगते हरियाणा के क्षेत्र में पंजाबी भाषी लोग रहते हैं, लेकिन उनके बच्चों को स्कूलों में पंजाबी भाषा पढ़ने को भी नहीं मिल रही है।
रिक्तपदों को भरा जाए
साहब सिंह सन्धु ने कहा कि स्कूलों में पंजाबी भाषा के अध्यापक पिछले लंबे समय से नहीं हैं। बार बार मांग करने के बाद भी स्कूलों में पंजाबी भाषा के अध्यापकों की भर्ती नहीं की गई। सरकार को चाहिए कि वह पंजाबी भाषा के अध्यापक व प्राध्यापक दोनों के पदों को भरे और स्कूलों में रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए। इससे एक तो बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा और साथ ही स्कूलों में पंजाबी भाषा के अध्यापक आने से बच्चों को भी लाभ होगा।                              dj

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