हिसार : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के दसवीं कक्षा के बच्चों में बोर्ड एग्जाम का डर बढ़ रहा है। इस वजह से विद्यार्थी बोर्ड की बजाय होम एग्जाम को प्राथमिकता दे रहे हैं। साल दर साल बोर्ड के जरिए एग्जाम देने वाले विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। माना जा रहा है कि अधिक अंक प्राप्त करने और बोर्ड एग्जाम के डर से बचने के लिए विद्यार्थी होम एग्जाम स्कीम को अपना रहे हैं। हालांकि इस बारे में स्कूल संचालकों की अलग अलग राय है। कुछ का कहना है कि यह सिस्टम विद्यार्थियों के फायदेमंद है, तो कुछ कहना है कि इससे विद्यार्थियों को नुकसान ज्यादा है। के छात्रों में
सीबीएसई की तरफ से विद्यार्थियों के दसवीं के मूल्यांकन में नौंवी कक्षा के अंकों को भी शामिल किया जाता है। इसके लिए सीबीएसई ने नौंवीं और दसवीं कक्षा को चार टर्म में बांटा हुआ है। दो टर्म नौंवीं और दो टर्म दसवीं कक्षा में होते है। पहले तीन टर्म में विद्यार्थियों के होम एग्जाम ही लिए जाते हैं। मतलब विद्यार्थी को अपने ही स्कूल में परीक्षा देनी होती है। मगर चौथे टर्म में बोर्ड ने विद्यार्थी को यह विकल्प प्रदान किया हुआ है कि वह बोर्ड या होम एग्जाम दोनों में से किसी का एक चुनाव कर सकता है। जिस विकल्प को वह चुनेगा, उसी के अनुसार उसकी परीक्षा होगी। बोर्ड ने वर्ष 2012 में यह सिस्टम लागू किया था। उसके बाद हर साल बोर्ड एग्जाम में शामिल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। इन आंकड़ों पर नजर डाले, तो वर्ष 2012 में जिले में 6 हजार में से दो हजार, 2013 में पांच हजार में से 1400 विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा में बैठे थे। वहीं वर्ष 2014 में 5500 में से 800 विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे।
"इस सिस्टम से विद्यार्थी पर परीक्षा का भय ही खत्म हो जाता है और वह मन लगाकर पढ़ाई नहीं करते। ऐसे बच्चे आगे फिर कामयाब नहीं हो पाते।"--डॉ. जगबीर सिंह, जिला महासचिव, हरियाणा स्कूल प्रोग्रेसिव कॉन्फ्रेंस
"इस सिस्टम को इस कारण से लागू किया गया, ताकि विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा के कारण कोई मानसिक तनाव न झेलना पड़े। वैसे इसमें विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों यह छूट दी गई है कि वह बोर्ड या होम एग्जाम में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं। वैसे होम एग्जाम सिस्टम पर भी बोर्ड अपनी पूरी नजर रखता है, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो सके।"--प्रवीण कुमार, प्रिंसिपल, ठाकुरदास भार्गव सीनियर सेकंडरी स्कूल
ऐसे होती है मार्किंग
होम एग्जाम में विद्यार्थी को अपने ही स्कूल में परीक्षा देनी होती है। हालांकि प्रश्न पत्र तो बोर्ड द्वारा तैयार किया हुआ दिया जाता है। मार्किंग भी उसी स्कूल के शिक्षकों द्वारा की जाती है। उधर बोर्ड एग्जाम में बोर्ड द्वारा अलॉट किए गए सेंटर में देनी होती है। इसमें बोर्ड फ्लाइंग भी चेंकिंग के लिए आती है। साथ ही मार्किंग बोर्ड के सेंटर पर ही की जाती है।
सिस्टम का उद्देश्य
इस सिस्टम को लागू करने के पीछे बोर्ड का मकसद था कि विद्यार्थियों में बोर्ड एग्जाम के डर को दूर करना। बोर्ड के मुताबिक कई बच्चों में बोरड परीक्षा का डर इस कदर बैठ जाता है कि वह सुसाइड जैसा कदम भी उठा लेते है। हालांकि सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षा सिस्टम को पूरी तरह खत्म नहीं किया, बल्कि होम एग्जाम सिस्टम के साथ साथ बोर्ड एग्जाम को भी पहले की तरह बरकरार रखा। बोर्ड ने विद्यार्थी को यह विकल्प दे दिया कि वह इन दोनों सिस्टम में से किसी एक का चुनाव कर सकता है db
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