** वर्ष 2006 के बाद से नहीं मिल रही किताबें व प्रमाण-पत्र, भटक रहे हैं बच्चे
कैथल : प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में बच्चों को फ्री कंप्यूटर शिक्षा देने का ठेका निजी कंपनियों को दे रखा है। बच्चे कक्षा दस भी पास कर गए लेकिन न तो उन्हें आज तक कंप्यूटर की किताबें ही मिल पाई और न ही सर्टिफिकेट। जो स्टूडेंट इस दौरान स्कूल छोड़ गए हैं वे कंप्यूटर शिक्षा का सर्टिफिकेट लेने के लिए स्कूल के चक्कर काट रहे हैं। तीसरी से कंप्यूटर सीख रहे स्टूडेंट्स अब 10वीं तक पहुंच गए हैं। वे अब इस बात से परेशान होने लगे हैं कि उन्हें सर्टिफिकेट देने के नाम पर बार-बार बरगलाया जा रहा है।
वर्षों से न कंप्यूटर की पुस्तकें मिली हैं और न ही पास आउट होने पर सर्टिफिकेट। जिले के सरकारी स्कूलों में पहली से लेकर १२वीं तक एक लाख 34 हजार बच्चे पढ़ते हैं। जिले के सीनियर सेकेंडरी व हाई स्कूलों में 160 कंप्यूटर टीचर बच्चों को मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा दे रहे हैं।
कंपनी गई , सर्टिफिकेट भी गए
कंप्यूटर की बेसिक नॉलेज ले रहे बच्चे पास आउट होने के बाद जब स्कूलों में सर्टिफिकेट लेने के लिए पहुंचते हैं। तो स्कूल प्रिंसिपल उन्हें यह कहकर वापस भेज देता है कि उन्हें सर्टिफिकेट स्कूल नहीं कंपनी देगी। कंपनी के अधिकारियों से बात करने पर पता चलता है कि अभी उनके पास सर्टिफिकेट आए नहीं। जब सर्टिफिकेट आएंगे तो उन्हें दे दिए जाएंगे। ये बात तो मौजूदा समय की है। जो बच्चे पास आउट होकर जा चुके हैं उन्हें तो सर्टिफिकेट मिल ही नहीं पाएंगे। श्रीराम न्यू हॉरीजोन लि. के जिला कोऑर्डिनेटर वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि उनकी कंपनी ने चार माह पहले बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने का काम लिया है। इससे पहले एक अन्य प्राइवेट कंपनी के पास बच्चों को कंप्यूटर ज्ञान देने का काम था। अगर बच्चों को छह वर्ष से कंप्यूटर की पुस्तकें या सर्टिफिकेट नहीं मिले।
सर्टिफिकेट न होने से पिछड़ जाते हैं स्टूडेंट्स
कंप्यूटर लेक्चरर संजय शर्मा ने कहा कि आज के कंप्यूटर युग में सभी स्टूडेंट्स के लिए कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य है। अगर उन्हें पढ़ाई के बावजूद सर्टिफिकेट नहीं मिलते तो वे हीन भावना का शिकार हो जाएंगे। आज हर क्षेत्र में कंप्यूटर का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति को नौकरी में पहल दी जाती है। लेकिन एक्सपीरियंस होने के बावजूद सर्टिफिकेट न होने के कारण वे पिछड़ जाते हैं। बच्चों को कंप्यूटर की पुस्तकें और सर्टिफिकेट दिलाने में शिक्षा अधिकारियों को भी पहल करनी चाहिए। db
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