सीडीएलयू के कंप्यूटर साइंस विभाग के एक एसोसिएट प्रोफेसर को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए सात फरवरी को तलब किया है।एसोसिएट प्रोफेसर पर आरोप हैं कि उन्होंने एंट्रेस क्लियर होने और योग्यता होने के बावजूद भी पीएचडी में दाखिला नहीं दिया।
इस पर शिकायतकर्ता नोएडा में कार्यरत साफ्टवेयर इंजीनियर ने विश्वविद्यालय के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इंजीनियर की याचिका पर हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन, कंप्यूटर साइंस विभाग के एक एसोसिएट प्रोफेसर और वर्तमान चेयरमैन को नोटिस जारी करते हुए सात फरवरी को कोर्ट में तलब किया है। उधर एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा कि तीन सदस्यीय कमेटी का गठन वीसी ने किया था। कमेटी ने सभी आवेदकों की कागजों की जांच करके अपनी रिपोर्ट सीडीएलयू एडमिनिस्ट्रेशन को सौंप दी थी। किस पर क्या कमेंट्स लिखे गए, उन्हें इसका पता नहीं।
वर्तमान में नोएडा में एक मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत हिसार के वीरेंद्र सिंह ने दायर याचिका सीडब्ल्यूपी 1613 में कहा कि सीडीएलयू में कंप्यूटर साइंस विभाग में मार्च 2013 में कंप्यूटर साइंस में एक्जीक्यूटिव कैटेगरी में पीएचडी के दो सीटों के लिए आवेदन मांगे थे। इन सीटों पर साफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत मैनेजर, सीनियर साइंटिस्ट, कार्पोरेट ऑफिसर, स्पोट्र्स पर्सन ही आवेदन कर सकते थे। विश्वविद्यालय द्वारा लिए गए एंट्रेस में वह द्वितीय स्थान पर रहा।जबकि प्रथम स्थान पर आने वाले आवेदन ने दाखिला नहीं लिया। ऐसे में उनका चयन निश्चित था। 18 मार्च 2013 को दाखिले के लिए जब वह तत्कालीन चेयरमैन के पास गया तो उन्होंने कागजी प्रकिया के नाम पर गुमराह किया। इसके विरोध में वह वीसी कार्यालय में गया और शिकायत दी और रिसीविंग ली। वीरेंद्र ने रिसीविंग की कॉपी की फोटो मोबाइल से खींच ली। इसकी सूचना तत्कालीन चेयरमैन को मिल गई।
शिकायत फाड़ दी थी
जैसे ही वह वीसी कार्यालय से बाहर निकला तो उसका बैग छीनकर शिकायत की कॉपी फाड़ दी गई। अन्य प्रोफेसरों ने बीच बचाव करके मामले को शांत किया। अगले दिन उसने गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के वीसी एमएल रंगा को भी शिकायत दी। तब उनके पास सीडीएलयू का भी अतिरिक्त चार्ज था। इसके बाद तीन सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया गया लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। साथ ही उसे सुपरिटेंडेंट से पत्र मिला कि आवेदन में आपके डाक्यूमेंट्स कम हैं। इसके बाद विश्वविद्यालय से पत्राचार चलता रहा। दिसंबर 2013 में कमेटी ने वीरेंद्र का केस फ्राड बताकर और तीसरे आवेदक को दाखिला देने की अनुशंसा कर दी। याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ दिसंबर में ही विश्वविद्यालय और कंप्यूटर साइंस विभाग को लीगल नोटिस भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद वीरेंद्र ने पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट में चेयरमैन के खिलाफ दाखिला न देने और पॉवर का मिसयूज करने पर याचिका नंबर सीडब्लूपी 1613 दायर कर दी।
हमें हाईकोर्ट का नोटिस मिल चुका है: मनोज
"कोर्ट का नोटिस मिल चुका है। सात फरवरी को विश्वविद्यालय का पक्ष रखने के लिए हमनें लॉ ऑफिसर को तथ्य जुटाने के निर्देश दे दिए है।"--मनोज सिवाच, रजिस्ट्रार, सीडीएलयू। dbsrs
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