जींद : कहते हैं कि गुरु के बिना ज्ञान मिलना संभव नहीं है और यदि ही न हो तो बच्चे ज्ञान कैसे प्राप्त कर सकेंगे। जिले के सरकारी स्कूलों में यही स्थिति बनी हुई है, जहां पर कई सरकारी स्कूलों में आज भी शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इस कारण विद्यार्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी लंबे समय से चल रही है। हालांकि शिक्षा विभाग समय-समय पर भर्तियां कर यह कमी पूरी करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन अब भी कई दर्जनों स्कूल ऐसे हैं, जहां पर जेबीटी से लेकर प्रिंसिपल तक के पद खाली पड़े हुए हैं। इस कारण विद्यार्थियों को पढ़ाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
विभागीय आंकड़ों की माने तो इस समय जिले में सबसे ज्यादा पद मास्टर कैडर के खाली पड़े हैं। जिले में 75 से अधिक पद मास्टर कैडर के खाली पड़े हुए हैं। इसी प्रकार से सीएंडवी शिक्षकों के 40 के लगभग पद खाली जिले में खाली हैं।
इसी प्रकार से मुख्याध्यापकों के 55 से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं। स्कूल लेक्चरार के पद भी खाली हैं, हालांकि उन पर अतिथि अध्यापक कार्यरत हैं। इसी प्रकार से जेबीटी के खाली पदों पर जेबीटी शिक्षक पढ़ा रहे हैं।
बिन मुखिया 55 से अधिक स्कूल
जिले में 55 स्कूल ऐसे हैं, जो बिना मुखिया के चल रहे हैं। वहां पर सीनियर शिक्षक को पावर दी गई है। इसके चलते उन्हें स्कूल संभालने के साथ-साथ शिक्षा देने का काम भी करना पड़ता है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है।
अतिथि अध्यापक चला रहे काम
जिले में खाली पड़े लेक्चरार, सीएंडवी, जेबीटी, मास्टर के कई नियमित पद खाली पड़े हैं। यहां पर अतिथि अध्यापक बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। इसके चलते बच्चों की कुछ परेशानी कम भी हो रही है।
"जिले में शिक्षकों के अधिकतर पद भरे हुए हैं, जहां पर पद खाली हैं, वहां अतिथि अध्यापक काम कर रहे हैं। संबंधित स्कूलों से जब भी शिक्षकों की मांग आती है, तभी उसे पूरा करा दिया जाता है।"--दिलबाग मलिक, जिला शिक्षा अधिकारी, जींद dj
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