चंडीगढ़ : जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर निजी स्कूल संचालकों ने राज्य सरकार के विरुद्ध आवाज बुलंद की। शिक्षा नियमावली 134 ए को अव्यावहारिक करार देते हुए शिक्षा का अधिकार कानून को पूर्णतया लागू करने की मांग करते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि प्रदेश में 1372 निजी स्कूल बंद करने का प्रयास किया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। निजी स्कूलों में कार्यरत पुराने शिक्षकों को सरकारी स्कूलों की तर्ज पर पात्रता परीक्षा से छूट की मांग भी उठाई।
फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले निजी स्कूल संचालक व शिक्षक सैकड़ों की तादात में शनिवार को जंतर-मंतर पर सुबह एकत्रित हुए व 12 बजे से लेकर तीन बजे तक रोष प्रदर्शन किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा के नेतृत्व में तीन बजे राहुल गांधी के निजी सचिव को मांगों का ज्ञापन सौंपा। कुलभूषण शर्मा ने बताया कि प्रदेश में चल रहे किसी भी प्राइवेट स्कूल को बंद होने नहीं दिया जाएगा। एक तरफ सरकार प्रदेश में आरटीई लागू करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर निजी स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी किए जा रहे हैं। कुछ महीने पहले सरकार ने 1372 निजी स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए थे, जो आरटीई का सीधे तौर पर उल्लंघन है। इससे स्कूलों में पढ़ रहे करीब 2 लाख बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी। स्कूल बंद होने पर 20 हजार टीचर्स व अन्य स्टाफ भी बेरोजगार हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आरटीई के तहत 25 प्रतिशत बच्चों को फ्री दाखिला देने की योजना बनाई है, उसका हरियाणा के बच्चों को फायदा नहीं मिल रहा है। सरकार अपनी जिम्मेदारी से भागते हुए निजी स्कूल संचालकों पर नियम 134ए थोप रही है। 134ए के स्थान पर शिक्षा का अधिकार कानून लागू होना चाहिए। जब देश एक है तो बोर्ड व एजुकेशन का तरीका भी एक जैसा हो, इससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा। उन्होंने फिर दोहराया कि निजी स्कूल सरकार के आदेश अनुसार गरीब बच्चों को बिना री इंबर्समेंट के दस फीसद सीटों पर दाखिला नहीं देंगे। dj
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